बेटे-बहू से प्रताड़ित बुजुर्ग महिला को हाईकोर्ट से मिला न्याय

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Update: 2025-01-11 02:11 GMT

दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बेटे-बहू को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें बुजुर्ग मां की संपत्ति तो चाहिए, लेकिन वृद्धा को शांति से जीने का हक देना उन्हें गवारा नहीं है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में बेटा-बहू और उनके बच्चों को बुजुर्ग के घर से बेदखल करने का आदेश दिया। जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि बुजुर्ग महिला के साथ दुर्व्यवहार, वित्तीय शोषण और मानसिक उत्पीड़न के आरोप जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष साबित हुए हैं। यह तथ्य भी साबित हुआ कि बुजुर्ग महिला की बहू ने पति और सास को छोड़कर अविवाहित ननद पर घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज कराया है। प्रथमदृष्टया यह भी प्रतीत होता है कि बुजुर्ग द्वारा दिल्ली माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण नियम, (संशोधन) नियम, 2016 के तहत बेटा-बहू व उसके परिवार को बेदखल की मांग करने पर बदला लेने की नीयत से कदम उठाया गया। हालांकि, जिला मजिस्ट्रेट ने यह देखते हुए कि संबंधित संपत्ति बुजुर्ग महिला के पति ने खरीदी थी, पति की अब मृत्यु हो चुकी है, ऐसे में अब यह संपत्ति बुजुर्ग महिला की है। जिला मजिस्ट्रेट ने बेटे-बहू और उनके परिवार को बुजुर्ग का घर खाली करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने इसे बरकरार रखा है।

सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के तहत तय किया गया कि बेटा-बहू बुजुर्ग महिला को 3 हजार रुपये महीने का भुगतान करेंगे। हालांकि बुजुर्ग का कहना था कि परिवार टूट चुका है। वह बस शांति से जीवन जीना चाहती है, इसलिए बेटा-बहू और उनके परिवार को घर छोड़ना ही उचित होगा।

इस मामले में चौंकाने वाली बात सामने आई। बुजुर्ग मां की हवा और रोशनी तक बेटा-बहू ने रोक दी थी। मजबूरन मां को जाफराबाद थाने में शिकायत दर्ज करानी पड़ी। पुलिस ने शिकायत को सही पाया। दरअसल, बुजुर्ग का एक बेटा-बहू ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं। बुजुर्ग अपनी अविवाहित बेटी के साथ पहली मंजिल पर रह रही थी। दूसरा बेटा और बहू अपने परिवार के साथ इस मकान की दूसरी मंजिल पर रहते थे। दूसरी मंजिल पर रहने वाले बेटा-बहू ने बुजुर्ग महिला का छत पर जाने का रास्ता रोक दिया था। पानी की टंकी की मरम्मत कराने में व्यवधान डाला। यहां तक कि बुजुर्ग महिला जिस मंजिल पर रह रही थी वहां की रोशनी और हवा को भी बाधित कर दिया गया।

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