तमिलनाडु के राज्यपाल रवि

तमिलनाडु

Update: 2023-08-13 03:18 GMT

 तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने शनिवार को कहा कि वह तमिलनाडु सरकार के एनईईटी विरोधी विधेयक को कभी मंजूरी नहीं देंगे। बता दें कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) पर राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है।

तमिलनाडु के राज्यपाल रवि ने कहा कि राष्ट्रीय प्रवेश-सह-पात्रता परीक्षा (एनईईटी) के बिना उपलब्धियां भविष्य के लिए पर्याप्त नहीं थीं और योग्यता परीक्षा को जारी रखना है।

राज्यपाल रवि ने कहा कि मैं मंजूरी देने वाला अंतिम व्यक्ति हूं। मैं नहीं चाहता कि मेरे बच्चे बौद्धिक रूप से अक्षम महसूस करें। मैं चाहता हूं कि हमारे बच्चे प्रतिस्पर्धा करें और सर्वश्रेष्ठ बनें।

मैं एनईईटी (बिल) को कभी भी मंजूरी नहीं दूंगा- राज्यपाल

तमिलनाडु के राज्यपाल ये बयान राजभवन में यूजी-2023 में शीर्ष एनईईटी स्कोरर्स के साथ बातचीत के दौरान दिया। जब एक अभिभावक ने नीट पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्यपाल की मंजूरी की मांग की थी। इस पर राज्यपाल रवि ने कहा कि मैं आपको बहुत स्पष्ट रूप से बता रहा हूं। मैं एनईईटी (बिल) को कभी भी मंजूरी नहीं दूंगा, इसे बिल्कुल स्पष्ट कर दूं। वैसे भी यह राष्ट्रपति के पास गया है क्योंकि यह समवर्ती सूची का विषय है। यह एक ऐसा विषय है जिसे केवल राष्ट्रपति ही मंजूरी दे सकते हैं।

अफवाह फैलाई जा रही है- राज्यपाल

राज्यपाल ने आगे कहा कि एक अफवाह फैलाई जा रही है कि केवल कोचिंग सेंटरों जाने वाले ही मेडिकल प्रवेश परीक्षा पास कर सकते हैं। हालांकि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सीबीएसई का पाठ्यक्रम मानक है।

उन्होंने कहा कि सीबीएसई की किताब में जो कुछ भी है, उससे आगे किसी चीज की जरूरत नहीं है। मैंने देखा है कि कई छात्रों ने कोचिंग संस्थानों में गए बिना इसे अच्छी तरह से पास कर लिया है। रवि ने कहा कि सीबीएसई मानक बहुत अच्छा पाठ्यक्रम है और एनईईटी उससे आगे नहीं है।

देश में रहेगा NEET- राज्यपाल

उन्होंने कहा कि कोई भ्रम में न हो NEET देश में रहने वाला है। मैं अपने बच्चों को प्रतिस्पर्धी बनाना चाहता हूं, देश में सर्वश्रेष्ठ बनना चाहता हूं। बता दें कि 2021 के विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ डीएमके ने लोगों से वादा किया था कि एक बार सत्ता में आने के बाद राज्य में नीट पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

राष्ट्रपति के पास भेदा गया विधेयक

राज्यपाल द्वारा पहली बार पारित किए जाने पर कानून के लिए अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया गया था, जिसके बाद राज्य विधानसभा ने दो बार विधेयक पारित किया था। विधेयक को विधानसभा द्वारा दूसरी बार पारित किया गया और राज्यपाल ने इसे सहमति के लिए राष्ट्रपति के पास भेज दिया।

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