भारत और चीन के बीच कल सुबह 10.30 बजे मोल्डो में होगी बातचीत

Update: 2021-07-30 11:18 GMT

फाइल फोटो 

>भारत और चीन के बीच 12वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता कल सुबह करीब साढ़े दस बजे वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी हिस्से के मोल्दो में होगी। भारत और चीन के बीच हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा हाइट्स एरिया से डिसइंगेजमेंट पर चर्चा होने की उम्मीद

चीन से चल रहे तनाव के बीच भारत ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के करीब दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बनाने का दावा किया है. 19 हजार 300 (19,300 फीट) की उंचाई पर बॉर्डर रोड ऑर्गेनाईजेशन (बीआरओ) ने उमलिंग-ला दर्रे पर मोटर-मार्ग बनाकर पूरी कर ली है. ये सड़क भारत और चीन के बीच विवादित डेमचोक इलाके के करीब है.
गुरूवार को बीआरओ ने उमलिंग-ला पास (दर्रे) पर सड़क बनाने का दावा किया. बीआरओ ने अपने आधिकारिक ट्वीटर एकाउंट पर उमलिंग-ला दर्रे की सड़क का वीडियो जारी कर कहा कि 'प्रोजेक्ट हिमांक' के दुनिया की सबसे उंची सड़क निर्माण बनाने का संकल्प देखिए. बीआरओ के मुताबिक, माइनस (-) 40 डिग्री सेल्सियस तापमान पर आदमी और मशीन दोनों की परीक्षा होती है... और बीआरओ के 'कर्मयोगियों' ने अपनी जान जोखिम में डालकर दुनिया के बेहद ही मुश्किल लक्ष्य को सफलता-पूर्वक पूरा किया.
अभी तक लद्दाख की ही खरदूंगला सड़क (18,380 फीट) को दुनिया की सबसे उंची सड़क माना जाता था. लेकिन उमलिंग-ला दर्रे की सड़क अब दुनिया की सबसे उंची सड़क बन गई है. आपको बता दें कि उमलिंग-ला पास भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) के विवादित डेमचोक इलाके के करीब है. इस पास के बनने से पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और हैनले जैसे इलाकों के बीच कनेक्टेविटी तो बढ़ ही जाएगी, साथ ही सेना की मूवमेंट भी तेजी से हो सकेगी.
इसी महीने तिब्बत के धर्म-गुरू दलाई लामा के जन्मदिन के मौके पर डेमचोक में जब कुछ स्थानीय लोग जश्न मना रहे थे तो चीनी सैनिकों और चीनी नागरिकों ने बैनर दिखाकर उसका विरोध किया था. इसके अलावा, हाल ही में खबर आई थी कि चीनी नागरिकों ने डेमचोक के करीब अपने तीन टेंट लगा लिए हैं. हालांकि, सेना ने साफ किया था कि ये तीनों टेंट दो साल पुराने हैं.
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में भारत ने एलएसी के करीब वाले इलाकों में सड़क, ब्रिज और टनल जैसे बॉर्डर-इंफ्रास्ट्रक्चर का एक बड़ा जाल बिछा दिया है. अक्टूबर 2019 में बीआरओ ने लेह को श्योक और डीबीओ को जोड़ने वाली डीएसडीबीओ रोड़ बनाई थी. इसके अलावा पैंगोंग-त्सो लेक से गोगरा और हॉट-स्प्रिंग को जोड़ने वाली सड़क भी बनकर तैयार है. ये सड़क भी 18 हजार से भी ज्यादा उंचाई पर मर्सिमिक-ला (दर्रे) से होकर गुजरती है.
साफ है कि एलएसी के जितने भी विवादित इलाके हैं वहां भारत पक्की सड़क बनाने में जुटा है. सामरिक मामलों के जानकार मानते हैं कि भारत के एलएसी के करीब इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने के चलते ही भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनाव, विवाद और झड़प बढ़ गई हैं. क्योंकि भारतीय सेना की पैट्रोलिंग इन इलाकों में सड़क और दूसरे बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ने से काफी बढ़ गई हैं. चीन ने एलएसी के अपने सीमा-क्षेत्र में 50-60 के दशक से ही सीमावर्ती इलाकों में सड़क, हाईवे और दूसरी मूलभूत सुविधाओं को बेहद मजबूत कर लिया था. जिसके कारण चीनी सैनिक बेहद तेजी से एलएसी पर मूवमेंट करते थे.
पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच पहले चरण के डिसइंगेजमेंट के बाद भी तनाव बना हुआ है. माना जा रहा है कि इसी हफ्ते दोनों देशों के सैन्य कमांडर्स के बीच अगले चरण के डिसइंगेजमेंट के मुद्दे पर बैठक हो सकती है.

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