अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा: महिलाओं के साथ तालिबान नहीं करेगा कोई भेदभाव, असैन्य नागिरकों को 'सुरक्षित मार्ग' उपलब्ध कराने पर सहमत

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Update: 2021-08-18 01:50 GMT

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के साथ ही भारी संख्या में लोग देश छोड़ कर जाना चाह रहे हैं वहीं सबसे बड़ी समस्या अफगानी महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों की बनी हुई है. इस बीच पूरे अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद मंगलवार को तालिबान के प्रवक्ता ने अपना पहला प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था. वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तालीबान का कहना है कि महिलाओं को इस्लामी कानून के तहत अधिकार दिए जाएंगे.

तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा है कि अब अफगानिस्तान को मुक्त करा लिया गया है. पिछली सरकार में महिलाओं पर कई कड़ी पाबंदियां लगाई गई थी. वहीं उनके शासनकाल में महिलाओं के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा. मुजाहिद के अनुसार महिलाओं को इस्लामी कानून के मानदंडों के तहत अधिकार दिए जाएंगे.
बता दें कि दो दशक पहले तालिबान के शासन के समय अफगानिस्तान में महिलाओं को घर की चार दिवारों के अन्दर सीमित कर दिया था. जिस दौरान महिलाओं के जीवन और अधिकारों पर कई कड़ी पाबंदियां लगाई गई. जिसके चलते एक बार फिर सत्ता में तालिबान की वापसी के साथ ही महिला अधिकारों की बात सबके सामने आ खड़ी हुई है.
महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर मुजाहिद का कहना है कि महिलाओं को स्वास्थ्य क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में काम करने की आजादी रहेगी. इसके साथ ही उनका कहना है कि अफगानिस्तार को अपने कब्जे में लेने के बाद सभी को माफ कर दिया गया है. उनके लड़ाके किसी से बदला नहीं लेंगे.
इसके अलावा प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुजाहिद ने कहा कि वह एक ऐसी सरकार स्थापित करना चाहते हैं जिसमें सभी पक्ष शामिल हों. तालिबान के प्रवक्ता का कहना है कि हम अपने पड़ोसियों और क्षेत्रीय देशों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हम अपने क्षेत्र का इस्तेमाल दुनिया के किसी भी देश के खिलाफ नहीं होने देंगे.


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