ट्यूनीशिया ने कांगो में तनाव बढ़ने पर जताई चिंता, कहा - पूरे क्षेत्र की सुरक्षा को हो सकता है खतरा
ट्यूनिस: ट्यूनीशिया के विदेश मंत्रालय ने पूर्वी पूर्वी लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो (डीआरसी) में बढ़ते तनाव को लेकर चिंता जताई। बयान में कहा गया कि वहां की हालात पर ट्यूनिस ने नजर बनाई हुई है। पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए ट्यूनीशिया ने चेतावनी दी कि तनावपूर्ण घटनाक्रम डीआरसी में शांति प्रयासों को खतरे में डाल सकता है। इससे पूरे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को खतरा हो सकता है।
बयान के मुताबिक ट्यूनीशिया ने डीआरसी की संप्रभुता की सुरक्षा और लुआंडा प्रक्रिया के तहत जुलाई 2024 के अंत में स्थापित युद्धविराम समझौते का पालन करने का समर्थन किया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, ट्यूनीशिया ने अफ्रीकी और संयुक्त राष्ट्र द्वारा चलाए जा रहे प्रयासों का समर्थन किया। इन कोशिशों का मकसद निर्दोष लोगों की जान बचाना और मानवीय स्थिति को खराब होने से रोकना है। इसके लिए सैन्य अभियानों को समाप्त करना जरूरी है।
30 जनवरी को कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेसीकेदी ने कहा था कि क्षेत्रीय समूहों द्वारा चल रहे शांति प्रयासों के बावजूद, पूर्वी डीआरसी में '23 मार्च मूवमेंट (एम23)' के विद्रोहियों की बढ़ती गतिविधियों पर वह 'कड़ी प्रतिक्रिया' देंगे। राष्ट्रीय टेलीविजन पर अपने संबोधन में त्सेसीकेदी ने कहा, 'डीआरसी के हर हिस्से को वापस हासिल करने के लिए' एक कार्रवाई चल रही है। एम 23 ने उत्तरी किवु प्रांत की राजधानी गोमा और एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय केंद्र पर अपना नियंत्रण होने का दावा किया है।
त्सेसीकेदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन और दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) बलों के समर्थन से चल रहे सैन्य प्रयासों के अलावा डीआरसी कूटनीतिक रूप से भी जुड़ा हुआ है। खासकर लुआंडा प्रक्रिया के जरिए जो अंगोला के राष्ट्रपति जोआओ लौरेंको के नेतृत्व में एक शांति पहल है। रविवार शाम से, लगभग 10 लाख निवासियों वाले शहर गोमा में हिंसक झड़पों की खबरें आ रही हैं, जिनमें 700,000 से अधिक आंतरिक रूप से विस्थापित लोग शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार, एम23 विद्रोहियों ने सोमवार को एयरपोर्ट, बंदरगाह और स्थानीय डीआरसी सेना के अड्डे समेत कई महत्वपूर्ण जगहों पर कब्जा कर लिया।