निलंबित जज ने मांगे 7 करोड़ रिश्वत, हाईकोर्ट ने दिए कार्रवाई के निर्देश
जल्द होगी कार्रवाई
हरियाणा। पंचकुला में पीएमएलए अदालत के निलंबित विशेष न्यायाधीश सुधीर परमार ने केंद्रीय एजेंसियों द्वारा दर्ज मामलों में कथित रूप से मदद करने के लिए रूप बंसल, उनके भाई बसंत बंसल (एम3एम के मालिक) और आईआरईओ समूह के मालिक ललित गोयल से 5 से 7 करोड़ रुपये की मांग की। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) पंचकुला ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि प्रवर्तन विभाग (ईडी) द्वारा पीएमएलए के तहत दर्ज आपराधिक मामलों में सीबीआई और ईडी के निलंबित विशेष न्यायाधीश सुधीर परमार रूप बंसल, उनके भाई बसंत बंसल और ललित गोयल की मदद कर रहे थे।
सूत्र ने कहा, परमार के खिलाफ विश्वसनीय श्रोत से ईडी और सीबीआई के मामलों में आरोपी व्यक्तियों की मदद की जानकारी मिलने पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। सूत्र ने कहा कि ईडी द्वारा 2021 में रियल्टी दिग्गज आईआरईओ ग्रुप के वाइस-चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ललित गोयल के खिलाफ धोखाधड़ी और घर खरीदारों और अन्य के धन की हेराफेरी के लिए पीएमएलए मामला दर्ज किया गया था। गोयल को नवंबर 2021 में गिरफ्तार किया गया था।
श्रोत ने बताया, उक्त मामला सुधीर परमार की अदालत में लंबित है। हमने सुधीर परमार और एक अन्य व्यक्ति के बीच उनके स्वयं के मोबाइल फोन के साथ-साथ उनके भतीजे अजय परमार के व्हाट्सएप चैट के स्क्रीनशॉट तक पहुंच बनाई, इसमें उन्होंने (सुधीर परमार) कथित रूप से रुपये की मांग की। ईडी के मामलों में एम3एम के मालिकों की मदद के लिए 5-7 करोड़ रुपये की मांग की गई। एक बिचौलिया आरोपियों से उनकी ओर से पैसा प्राप्त करता था।
उसी चैट में दूसरा शख्स बताता है कि सुधीर परमार को आईआरईओ मामले में आरोपी द्वारा पहले ही 5 करोड़ रुपये दिए जा चुके थे। हरियाणा के पंचकूला में सीबीआई/पीएमएलए अदालत में विशेष न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले, सुधीर परमार को गुरुग्राम में एएसआई/एडीआई के रूप में तैनात किया गया था, जहां न्यायाधीश होने की अपनी आधिकारिक स्थिति का दुरुपयोग करके, वह एम3एम और आईआरईओ समूह के मालिकों के संपर्क में आए। उन्होंने अपने भतीजे अजय परमार को एम3एम में कानूनी सलाहकार के रूप में 12 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर नियुक्त करवाकर अनुचित पक्ष लिया। बाद में, सुधीर परमार को पंचकूला में सीबीआई/ईडी के विशेष न्यायाधीश के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया और उनके भतीजे का वार्षिक पैकेज 18-20 लाख रुपये कर दिया गया।
एसीबी की प्राथमिकी के मुताबिक सुधीर परमार सीबीआई/ईडी के विशेष न्यायाधीश होने के नाते, आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर अपने भतीजे के माध्यम से अवैध रूप से धन की प्राप्ति के लिए उनका पक्ष लेने लगे। स्रोत द्वारा प्रदान की गई रिकॉडिर्ंग में इन तथ्यों का खुलासा किया गया है। ऑडियो रिकॉडिर्ंग में से एक में, सुधीर परमार आरोपी से मिलने के लिए किसी से 1.5 करोड़ रुपये (प्रति व्यक्ति 50 लाख रुपये) की मांग कर रहे हैं।
प्राथमिकी में कहा गया है कि तीन अन्य रिकॉडिर्ंग्स में सुधीर परमार रूप बंसल के साथ बात कर रहे हैं और कहते हैं कि उन्हें अपनी पोस्टिंग की संवेदनशील प्रकृति के कारण आरोपी के साथ अपनी कनेक्टिविटी का खुलासा होने का डर है। उन्होंने उससे कहा कि वह उससे (रूप बंसल) अपने निजी मोबाइल फोन पर कभी बात नहीं करेगा और हमेशा उसके साथ और एम3एम और आईआरईओ के अन्य आरोपियों से मोबाइल फोन या व्हाट्सएप/फेसटाइम के माध्यम से अपने भतीजे अजय परमार के फोन से बात करेगा।
इसी तरह बंसल ने भी सुधीर परमार से कहा कि वे भी कभी सीधे उनसे फोन पर बात नहीं करेंगे और उनके भतीजे के जरिए बात करेंगे। स्रोत द्वारा प्रदान की गई एक ऑडियो रिकॉडिर्ंग से पता चला कि सुधीर परमार ने एक अज्ञात व्यक्ति के साथ बातचीत के दौरान दावा किया कि उन्होंने ईडी के मामलों में रूप बंसल को आरोपी नहीं बनने दिया। एम3एम के मालिक रूप बंसल के साथ एक अन्य रिकॉडिर्ंग में, उन्होंने वादा भी किया कि अगर उन्हें (रूप बंसल) सीबीआई मामले में छोड़ दिया जाता है, तो वह (सुधीर परमार) उन्हें (रूप बंसल) ईडी मामले में आरोपी नहीं बनने देंगे। 1200 करोड़ रुपये की संपत्ति से संबंधित एक अन्य रिकॉडिर्ंग में, सुधीर परमार ने दावा किया कि उन्होंने सुनील यादव (ईडी अधिकारी) से बात की और वह संपत्ति को कुर्क नहीं होने देंगे, बशर्ते पैसे के लेन-देन के लिए कुछ औचित्य दिखाया जाए।
एक अन्य रिकॉडिर्ंग में, सुधीर परमार ने कहा कि वह आरोपी ललित गोयल की पत्नी, उसके बहनोई सुधांशु मित्तल से मिले और उन्हें आश्वासन दिया कि यद्यपि वह पीएमएलए मामले में ललित गोयल को जमानत पर रिहा नहीं कर सकते, फिर भी वह उनका पक्ष लेंगे। उसे अदालत में सम्मानजनक तरीके से पेश करेंगे और बार-बार वारंट/नोटिस जारी करके या विदेश जाने की अनुमति से इनकार करके उसे परेशान नहीं करेंगे। और इस तरह अदालत में रहते हुए उन्हें घर जैसा महसूस कराएंगे। आपराधिक कदाचार के उपरोक्त उदाहरणों के अलावा, ऑडियो रिकॉडिर्ंग में एक वीपी गुप्ता (हरियाणा के एक हटाए गए न्यायाधीश) के साथ सुधीर परमार की बातचीत भी शामिल है, इसमें वे टीसी गुप्ता से पैसे ऐंठने की दृष्टि से पक्ष लेने की रणनीति बना रहे हैं। आईएएस अधिकारी (सेवानिवृत्त), तत्कालीन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट, हरियाणा के निदेशक और अब सीबीआई/ईडी के किसी मामले में आरोपी हैं।
उपरोक्त के मद्देनजर प्रथमदृष्टया भ्रष्टाचार निवारण 1988 की धारा 7, 8, 11 और 13 के तहत सुधीर बंसल, अजय परमार, रूप बंसल और अन्य के खिलाफ मामला बनता है। इस संबंध में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने एसीबी को सुधीर परमार के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति प्रदान की। इसके बाद सुधीर परमार के खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया।