सुप्रीम कोर्ट का IBC में पर्सनल गारंटर के प्रावधान पर फैसला, बोले- 'रिजॉल्‍युशन की मंजूरी से जिम्‍मेदारी नहीं खत्‍म हो जाती'

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के उस फैसले को बरकरार रखा,

Update: 2021-05-21 09:36 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें कहा गया था कि इन्‍सॉल्‍वेंसी एंड बैंकरप्‍सी कोड (IBC) के तहत आने वाली कंपनियों को दिए गए लोन पर पर्सनल गारंटर के खिलाफ भी बैंक की ओर से कार्रवाई की जाएगी. जस्टिस एल नागेश्‍वर राव और एस रविंद्र भट्ट की बेंच ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कहा कि आईबीसी के तहत रिजॉल्‍युशन प्लान को मंजूरी मिलने का मतलब यह नहीं है कि बैंक की देनदारी के प्रति पर्सनल गारंटर की जिम्‍मेदरी खत्‍म हो जाती है.

इस फैसले को सुनाते जस्टिस भट्ट ने कहा, 'फैसले में हमने नोटिफिकेशन को बरकरार रखा है.' करीब 75 याचिकाओं में इस नोटिफिकेशन की वैधता को लेकर जवाब मांगा गया था. इन्‍सॉल्‍वेंसी एंड बैंकरप्‍सी बोर्ड ऑफ इंडिया (IBBI) ने मांग की थी कि हाइकोर्ट में पेंडिंग इस तरह के सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में भेज दिया जाए.
नोटिफिकेशन को असंवैधानिक करार दिए जाने की मांग
एक याचिकाकर्ता की ओर से 15 नवंबर 2019 को आईबीसी के दायरे में आने वाले इस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी. इन याचिकाओं में आईबीसी के तहत आने वाले पर्सनल गारंटर से संबंधित सेक्‍शन 95, 96, 99, 100, और 101 को अंसवैधानिक करार दिए जाने की मांग की गई थी. इन सभी याचिकाओं को पिछले साल अक्‍टूबर में ही सुप्रीम कोर्ट को हस्‍तांतरित कर दिया गया था.
कॉरपोरेट मंत्रालय ने जारी किया था नो‍टिफिकेशन
कोर्ट ने कहा कि आईबीसी अभी शुरुआत दौर में है, ऐसे में कोर्ट के लिए यह जरूरी है कि वो इस कोड के अंतर्गत प्रावधानों का समाधान निकाले ताकि किसी तरह की कंन्‍फयूज़न की स्थिति न रहे. इस प्रकार कानून का पालन सही तरीके से हो सकेगा. बता दें कि इस नोटिफिकेशन के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से जारी किया गया था.
अब कोर्ट ने इस नोटिफिकेशन की वैधता को बरकरार रखते हुए सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने कहा कि किसी भी कंपनी के लिए इन्‍सॉल्‍वेंसी रिजॉल्‍युशन प्‍लान शुरू करने का मतलब है कि वित्‍तीय संस्‍थान के प्रति कॉरपोरेट गारंटर के तौर पर किसी की व्‍यक्तिग जिम्‍मेदारी नहीं होती है.
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