स्थायी कमीशन से वंचित नौसेना अफसरों को सेवा मुक्त करने पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया रोक, केंद्र से भी मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और नौसेना को उन अधिकारियों (पुरुष व महिला) को सेवामुक्त करने से रोक दिया, जिन्हें स्थायी कमीशन नहीं दिया गया है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और नौसेना को उन अधिकारियों (पुरुष व महिला) को सेवामुक्त करने से रोक दिया, जिन्हें स्थायी कमीशन नहीं दिया गया है। साथ ही शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे पर केंद्र से जवाब भी मांगा है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल संजय जैन और वरिष्ठ वकील आर. बालासुब्रमणियम से नौसेना के अफसरों की शिकायतों पर दोबारा विचार करने को भी कहा, जिनमें से कुछ को सेवा से मुक्त कर दिया गया है।
पीठ ने कहा, 'इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कुछ अधिकारी दो फरवरी को सेवा से मुक्त होने वाले हैं, हम निर्देश देते हैं कि जो अधिकारी पहले से ही सेवा में हैं उन्हें इस अदालत के अगले आदेश तक मुक्त नहीं किया जाएगा।'
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, 'उनमें से कुछ नौसेना अधिकारी पेंशन योग्य सेवाओं से एक या दो साल कम हैं। जिन्हें सेवामुक्त किया गया है, उन्हें पेंशन देने पर विचार किया जा सकता है।'
पीठ ने केंद्र और नौसेना को नोटिस जारी किया तथा अल्पकालिक सेवा कमीशन नौसैनिक अधिकारियों की याचिकाओं पर चार सप्ताह में जवाब मांगा, जिनके नाम पर स्थायी कमीशन के लिए विचार नहीं किया गया है।
जैन ने नोटिस स्वीकार किया और कहा कि वह प्रत्येक मामले पर फिर से विचार करेंगे और एक विस्तृत जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे।
नौसेना के अधिकारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह, हुजेफा अहमदी और मीनाक्षी अरोड़ा आदि की दलील थी कि नौसेना प्राधिकारियों ने रिक्त स्थानों की जो गणना की है वह कमांडर एन्नी नागराज मामले में शीर्ष अदालत के 2020 के फैसले में दिए गए निर्देशों के अनुरूप नहीं है।