सुप्रीम कोर्ट ने कहा - पूर्ण सेवा रिकार्ड की जांच के बाद ही होना चाहिए समयपूर्व रिटायरमेंट
सुप्रीम कोर्ट ने वक्त से पहले रिटायरमेंट के लिए जरूरी निर्देश दिए हैं। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि पूरे सेवा रिकार्ड की जांच के बाद ही समय से पहले सेवानिवृत्ति का आदेश पारित किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वक्त से पहले रिटायरमेंट के लिए जरूरी निर्देश दिए हैं। शुक्रवार को कोर्ट ने कहा कि पूरे सेवा रिकार्ड की जांच के बाद ही समय से पहले सेवानिवृत्ति का आदेश पारित किया जाना चाहिए।
कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा कि समय से पहले सेवानिवृत्ति के लिए पूरे सेवा रिकार्ड को ध्यान में रखा जाना चाहिए। जिसमें पदोन्नति से पहले की अवधि के एसीआर शामिल होंगे। समयपूर्व सेवानिवृत्ति के आदेश को पूरे सेवा रिकॉर्ड के आधार पर पारित करने की आवश्यकता है। साथ ही कहा गया कि हालिया रिपोर्टों को अलग से महत्व देने की जरूरत होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश को खारिज करते हुए यह भी कहा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश जनहित में है और सरकार की व्यक्तिपरक संतुष्टि पर पारित किया जाता है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश केवल इस कारण से रद्द करने के लिए उत्तरदायी नहीं है कि असंप्रेषित प्रतिकूल टिप्पणियों को ध्यान में रखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें एक कांस्टेबल की समय से पहले सेवानिवृत्ति के आदेश को रद्द कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने अपने पहले के फैसलों का हवाला दिया और कहा कि अदालतों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति की शक्ति के प्रयोग में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, अगर यह वास्तविक और रिकार्ड पर उपलब्ध सामग्री के आधार पर होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कांस्टेबल के समय से पहले सेवानिवृत्ति के आदेश को खारिज करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने खुद को पूरी तरह से गलत दिशा दी है। याचिकाकर्ता को अपनी पदोन्नति से पहले कई सजाएं दी गई हैं। जिसमें वर्ष 1993 में ड्यूटी पर रहते हुए एक ट्रांसपोर्टर से अवैध रिश्वत प्राप्त करना शामिल है। ड्यूटी से अनुपस्थिति और छुट्टी से अधिक रहने के भी आरोप हैं। पदोन्नति के बाद, ड्यूटी पर सोने के आरोप में चार दिन की सजा दी गई और छुट्टी से वापसी में देरी के लिए दो दिनों का जुर्माना लगाया गया था।