सुप्रीम कोर्ट बोला- दहेज को लेकर बदलनी होगी लोगों की सोच भी

Update: 2021-12-06 09:39 GMT

नई दिल्ली: दहेज प्रताड़ना के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि दहेज निरोधी कानून को और मजबूत करने के लिए मौजूदा कानूनों पर पुनर्विचार की जरूरत है. इस सामाजिक बुराई के जारी रहने पर अब बहुत ज्यादा विचार करने की जरूरत आ पड़ी है. कानून में बदलाव के साथ- साथ लोगों को भी अपनी सोच में बदलाव लाना होगा.

इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट ने भारत के विधि आयोग से भी दहेज हत्या और घरेलू हिंसा के मुद्दों पर विचार करने और मौजूदा कानूनों को और मजबूत करने के उपाय सुझाने की अपील की है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई और भी अहम टिप्पणियां कीं. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून महत्वपूर्ण हैं लेकिन बदलाव भी भीतर से आना चाहिए. हम परिवार में आने वाली महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करते हैं, ये मुद्दा दरअसल सामाजिक महत्व का है. उन्होंने कहा कि- व्यवस्था के सुधारक इस मुद्दे को भी देख रहे हैं.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें RTI अधिकारी के समकक्ष दहेज विरोधी अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. ये मामला जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच के सामने सुनवाई के लिए लाया गया था. याचिकाकर्ता के लिए पेश वकील वी के बीजू ने सुनवाई के दौरान कहा कि मैं केरल की स्थिति से परेशान हूं. एक आयुर्वेद चिकित्सक के प्रति दहेज प्रताड़ना के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर पुलिस वाले को निलंबित कर दिया गया है.
कोर्ट ने कहा- केरल में यह एक बुरी प्रथा है कि इतना सोना आदि मांगा जाता है. इसमें नोटिस जारी होना चाहिए और ऐसे मामलों की जांच के लिए आयोग का गठन किया जाए. गौरतलब है कि आयुर्वेद मेडिकल की छात्रा विस्मया केरल के सस्थामकोट्टा में अपने पति के घर में मृत पाई गई थी. केरल के कोल्लम जिले में 24 वर्षीय आयुर्वेद चिकित्सक की संदिग्ध और कथित आत्महत्या के एक दिन बाद, पुलिस ने दहेज हत्या मामले में पति को गिरफ्तार कर लिया. अदालत ने कहा कि ये विधायी क्षेत्र का मामला है.
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