सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हिंदुओं को भी शिक्षा संस्थान का मूलभूत अधिकार मिले, पीआईएल दायर

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई है

Update: 2021-09-25 17:58 GMT

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर केंद्र को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि मुस्लिम और ईसाई जैसे अल्पसंख्यकों की तरह शैक्षणिक संस्थान चलाने का मौलिक अधिकार हिंदुओं को भी दिया जाए। भाजपा नेता व वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर पीआईएल में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 में अल्पसंख्यकों को उनकी विशिष्ट भाषा, लिपि या संस्कृति की रक्षा करने का अधिकार दिया गया है। उन्हें धर्म या भाषा के आधार पर उनकी पसंद के शिक्षण संस्थानों की स्थापना और उनके संचालन का अधिकार प्रदान किया गया है।

जनहित याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय, कानून व न्याय मंत्रालय व अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि शीर्ष अदालत इन मंत्रालयों को आदेश दे कि वे अनुच्छेद 29 के तहत दिए गए मूलभूत अधिकार के अनुरूप देश में समान शिक्षा संहिता लागू करें। उपाध्याय ने वकील अश्विनी दुबे के माध्यम से यह याचिका दायर की है। इसमें यह भी कहा गया है कि हिंदुओं को अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति के संरक्षण के समान अधिकार है, जैसे मुस्लिम ईसाई और पारसी समुदाय को है। राज्य सरकारें इनके अधिकार को कम नहीं कर सकतीं।
याचिका में केंद्र को यह घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि बहुसंख्यक समुदाय को मुस्लिम, पारसी ईसाइयों की तरह अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना व संचालन के समान अधिकार हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि संविधान के अनुच्छे 30 में सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद का शिक्षा संस्थान चलाने का मूलभूत अधिकार है। यह भी प्रावधान है कि इन संस्थानों का इस आधार पर अनुदान नहीं रोका जा सकता है कि ये अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से चलाए जा रहे हैं। न ही इनके साथ अनुदान को लेकर किसी तरह का भेदभाव किया जा सकता है। उपाध्याय का कहना है कि धार्मिक आधार पर बंटवारे को ध्यान में रखकर संविधान में ये प्रावधान किया गया था। इन प्रावधानों का यह मतलब नहीं है कि वह बहुसंख्यक हिंदुओं को अपनी पसंद के गुरुकुल व वैदिक स्कूलों की स्थापना से रोके। इनका मकसद सिर्फ इतना है कि अल्पसंख्यकों को अतिरिक्त संरक्षण दिया जाए, यदि राज्य उन पर बहुसंख्यक नजरिया थोपे।


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