सुप्रीम कोर्ट का आदेश, बिल्डर को लौटानी होगी पानी और अन्यकरों के नाम पर वसूली ज्यादा रकम

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिल्डर द्वारा कब्जा प्रमाणपत्र हासिल नहीं कर पाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत सेवा में खामी है।

Update: 2022-01-13 17:14 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिल्डर द्वारा कब्जा प्रमाणपत्र हासिल नहीं कर पाना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत सेवा में खामी है। लिहाजा कब्जा प्रमाणपत्र के अभाव में अगर फ्लैट खरीदारों को कर या पानी के शुल्क का अधिक भुगतान करना पड़ा तो बिल्डर को वह रकम लौटानी होगी।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान उक्त आदेश दिया। आयोग ने एक सहकारी हाउसिंग सोसायटी द्वारा बिल्डर की चूक के कारण नगर निगम को भुगतान किए गए अतिरिक्त करों और शुल्कों की वापसी की मांग को खारिज कर दिया था। उसका कहना था कि यह उपभोक्ता विवाद से संबंधित नहीं, बल्कि वसूली प्रक्रिया से संबंधित मामला है।
याचिकाकर्ता सोसायटी के अनुसार, बिल्डर नगर निगम से कब्जा प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए कदम उठाने में विफल रहा। कब्जा प्रमाणपत्र नहीं रहने के कारण फ्लैट स्वामी बिजली और पानी के कनेक्शन के लिए पात्र नहीं थे। सोसायटी के प्रयासों से निगम ने अस्थायी तौर पर पानी और बिजली के कनेक्शन दिए थे। हालांकि, अपीलकर्ताओं को सामान्य दर से 25 प्रतिशत अधिक की दर से संपत्ति कर और पानी के लिए भी अधिक शुल्क का भुगतान करना पड़ा।
ज्यादा कर लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ करनी चाहिए शिकायत: सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत ने एनसीडीआरसी के उस आदेश को रद कर दिया जिसमें बिल्डर के खिलाफ सोसायटी की याचिका को खारिज कर दिया गया था और कहा था कि उन्हें ज्यादा कर लेने वाले अधिकारियों के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए। पीठ ने कहा, 'मौजूदा मामले में प्रतिवादी कब्जा प्रमाणपत्र के साथ सोसायटी को फ्लैट के स्वामित्व को हस्तांतरित करने के लिए जिम्मेदार था। प्रतिवादी द्वारा कब्जा प्रमाणपत्र प्राप्त करने में विफलता सेवा में कमी है, जिसके लिए प्रतिवादी उत्तरदायी है। इस प्रकार, अपीलकर्ता सोसायटी के सदस्यों को उपभोक्ताओं के रूप में अधिकार हैं कि वे कब्जा प्रमाणपत्र नहीं रहने से उत्पन्न होने वाले परिणाम के कारण दायित्व (जैसे उच्च करों और पानी के शुल्क का भुगतान) को लेकर मुआवजे के लिए अनुरोध करें।'
मालूम हो कि नगर निकाय द्वारा कब्जा प्रमाणपत्र इमारत का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद जारी किया जाता है। इससे पता चलता है कि सभी नियमों का पालन करते हुए इमारत का निर्माण किया गया है।


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