अंसारी मामले में सुप्रीम कोर्ट बोला-चुनौती मिलने पर हम असहाय बने नहीं रह सकते
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून के राज को चुनौती मिलने पर हम असहाय दर्शक बने नहीं रह सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कानून के राज को चुनौती मिलने पर हम असहाय दर्शक बने नहीं रह सकते। कोर्ट ने यह टिप्पणी शुक्रवार को गैंगस्टर से विधायक बने मुख्तार अंसारी को पंजाब की रूपनगर जेल से उप्र के बांदा की जेल भेजने का आदेश करते हुए की। जस्टिस अशोक भूषण और आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने कहा कि चाहे कैदी अभियुक्त हो, जो कानून का पालन नहीं करेगा वह एक जेल से दूसरी जेल भेजे जाने के निर्णय का विरोध नहीं कर सकता है।
पीठ ने कहा कि 14 फरवरी 2019 से 14 फरवरी 2020 के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने 26 बार मुख्तार अंसारी की हिरासत का आग्रह किया लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर आग्रह ठुकरा दिए गए। कभी कहा गया कि शुगर बढ़ी हुई है, कभी त्वचा की एलर्जी, कभी रक्तचाप तो कभी पीठ दर्द का बहाना बनाया गया।
मुख्तार अंसारी उगाही के एक मामले में रूपनगर की जेल में जनवरी 2019 से बंद है। अभी इस मामले की जांच भी पूरी नहीं हो पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने उसे दो हफ्ते के भीतर स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। कोर्ट में उसकी तरफ से दलील दी गई कि उत्तर प्रदेश में उसे जान का खतरा है। कोर्ट में उप्र सरकार की ओर से बताया गया कि पंजाब सरकार बेशर्मी से अंसारी का बचाव कर रही है। इस पर पीठ ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 142 में प्रदत्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए अंसारी को उप्र की बांदा जेल भेजे जाने का आदेश देती है। पीठ ने कहा कि इस स्थिति में राहत देने के लिए कानून के हाथ बहुत लंबे हैं।