INS विराट को तोड़ने पर लगी रोक हटाने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया संकेत, कहा- शिप अब प्राइवेट प्रॉपर्टी
INS विराट (INS Viraat) से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने संकेत दिया है
INS विराट (INS Viraat) से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने संकेत दिया है कि वो युद्धपोत आईएनएस विराट के विघटन पर लगी रोक को हटा सकता है. फरवरी 2017 में नौसेना से रिटायर होने के बाद ऐतिहासिक पोत को तोड़ने पर सुप्रीम ने रोक लगा दी थी. मुंबई बेस्ड कंपनी से कोर्ट ने कहा है कि वो अपनी पर्यवेक्षण रिपोर्ट पर ध्यान केंद्रित करे. इस मामले पर अब अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी.
INS विराट सितंबर 2020 के बाद से अलांग के शिप-ब्रेकिंग यार्ड में समुद्र तट पर मौजूद है. मुख्य न्यायाधीश शरद ए बोबडे ने कहा कि ये शिप अब प्राइवेट प्रॉपर्टी है और इसका 40 प्रतिशत हिस्सा पहले ही तोड़ा जा चुका है. इसलिए इस शिप को अब विमान वाहक पोत का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. पोत खरीदने वाली मुंबई की कंपनी ने भी यही तर्क दिया था कि पोत का 40 फीसदी हिस्सा टूट चुका है. इससे पहले, अदालत ने ऐतिहासिक युद्धपोत INS विराट को तोड़ने पर रोक लगाते हुए इसे खरीदने वाली मुंबई बेस्ड कंपनी को 10 फरवरी को नोटिस जारी किया था.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिकाकर्ता ने कहा था कि इस पोत को तोड़ने से अच्छा है कि म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाए. याचिकाकर्ता ने इस पोत को संरक्षित करने की इच्छा जाहिर की थी. कंपनी ने इसको खरीदने के लिए 100 करोड़ की धनराशि जमा की थी. जबकि मुंबई के एक फर्म ने इसे स्क्रैप के लिए खरीदा थी. विमान वाहक पोत विराट को 1987 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. वर्ष 2017 में इसे नौसेना से हटा दिया गया था.
मालूम हो कि INS विराट कोई मामूली वॉरशिप (Warship INS Viraat) नहीं थी बल्कि इंडियन नेवी की पहचान और इसकी संस्कृति का अहम हिस्सा थी. आईएनएस विराट 29 सालों तक नौसेना के साथ रहा. आईएनएस विराट 12 मई 1987 को इंडियन नेवी में कमीशन हुआ था. इसके बाद इसका नाम एचएमएस हेरम्स से बदलकर आईएनएस विराट हो गया. इस वॉरशिप का निर्माण जून 1944 में शुरू हुआ था और 18 नवंबर 1959 में इसे रॉयल नेवी में कमीशंड किया गया था.