सुप्रीम कोर्ट ने बनाई समिति, राजस्थान की विरासत को संभालने और रखरखाव की जिम्मेदारी दी
दिल्ली। राजस्थान की विरासत को संभालने और बेहतर रखरखाव के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति बनाई है. समिति में पांच सदस्य होंगे. ये समिति राजस्थान की प्राचीन और गौरवमय धरोहर के संरक्षण, जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण कार्यों की निगरानी करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने समिति की अध्यक्षता बॉम्बे और राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग को सौंपी है. कमेटी 21 मार्च तक स्टेटस रिपोर्ट देगी. समिति में INTAC दो हैरिटेज आर्किटेक्ट विशेषज्ञ मनोनीत करेंगे जो एएसआई से होंगे. तीन अन्य सदस्य होंगे.
कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों के अंदर और आसपास अतिक्रमण छह हफ्ते में साफ कर दिया जाएं. जस्टिस नंदराजोग को हर एक दौरे के लिए एक लाख रुपए मानदेय सरकार देगी. सरकार ने साल भर में धरोहरों के लिए एक ही सकारात्मक काम किया की पांच करोड़ रुपए बजट आवंटित किया. अब संरक्षण कार्य और कमेटी के कार्य कलाप का खर्च राजस्थान सरकार देगी. जितना खर्च लगेगा सभी राजस्थान सरकार को भुगतान करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने विरासत के बर्बाद होने और सरकारी अमले की उदासीनता पर क्षोभ जताते हुए कहा कि राजस्थान ने अपनी सुनहरी विरासत को बर्बाद करने को अपनी मंजूरी दे दी है. हमने 29 फरवरी 2022 को आदेश दिया था. लगभग साल होने को आ गया लेकिन आपने कुछ भी नहीं किया. कोर्ट ने राजस्थान सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी को भी कहा कि हमारे आदेश के बावजूद सरकार ने कुछ नहीं किया. हम अवमानना का नोटिस जारी करेंगे और किसी को भी नहीं छोड़ेंगे. नाराज कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि विरासत और रजवाड़े की संपदा के रखरखाव और संरक्षण की जिम्मेदारी किसकी थी? सिंघवी बोले जयपुर कलेक्टर की माई लॉर्ड! वही जवाबदेह और जिम्मेदार हैं. कोर्ट ने फौरन जयपुर कलेक्टर के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी कर महीने भर में जवाब मांग लिया.