सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को दिया निर्देश, कोविड से मौत पर मुआवजे के लिए नियुक्त किए जाएं नोडल अधिकारी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य सचिव के साथ समन्वय करने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें

Update: 2022-02-04 17:56 GMT

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (एसएलएसए) के सदस्य सचिव के साथ समन्वय करने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें। ताकि कोविड से जान गंवाने वालों के स्वजन को अनुग्रह राशि का भुगतान किया जा सके।जस्टिस एमआर शाह और बीवी नागरत्ना की पीठ ने राज्य सरकारों को शुक्रवार से एक सप्ताह के भीतर संबंधित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास नाम, पता और मृत्यु प्रमाणपत्र के साथ-साथ अनाथों के संबंध में पूर्ण विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। कहा कि इसमें विफल रहने पर मामले को बहुत गंभीरता से लिया जाएगा।

तकनीकी गड़बड़ी के आधार पर खारिज नहीं करें आवेदन
शीर्ष अदालत ने दोहराया कि अनुग्रह राशि की मांग करने वाले आवेदनों को तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए। यदि कोई तकनीकी गड़बड़ी पाई जाती है तो संबंधित राज्यों को उन्हें त्रुटि ठीक करने का अवसर देना चाहिए, क्योंकि कल्याणकारी राज्य का अंतिम लक्ष्य पीडि़तों को राहत प्रदान करना होता है। राज्यों को दावा प्राप्त होने के 10 दिन के भीतर अनुग्रह राशि का भुगतान कर देना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का प्रयास उन पीड़ितों तक पहुंचने का होगा, जिन्होंने अभी तक किसी भी कारण से मुआवजे के लिए संपर्क नहीं किया है।
कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की आलोचना
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की नीति की आलोचना भी की। कोर्ट ने रोष व्यक्त करते हुए कहा किसिर्फ आनलाइन आवेदन प्राप्त करने का प्रावधान कतई ठीक नहीं है। कोर्ट में आफलाइन किए गए आवेदनों को खारिज करने पर राज्य से सावल भी किया है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, मुआवजा राज्य द्वारा दी गई चैरिटी नहीं है। बल्कि एक राज्य की भुमिका में यह उनकी जिम्मेदारी है।
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