शख्स को क्रूर इंसान कहा सुप्रीम कोर्ट ने, उत्पीड़न केस में जमकर फटकारा

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Update: 2025-01-24 10:31 GMT

दिल्ली। सारा दिन घर पर कभी सरस्वती पूजा और कभी लक्ष्मी पूजा। और फिर यह सब...। सुप्रीम कोर्ट ने घरेलू उत्पीड़न के मामले में शख्स को फटकार लगाते हुए यह टिप्पणी की है। 2015 में सेक्शन 498ए के तहत दोषी करार दिए गए शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में डेढ़ साल की कैद की सजा के खिलाफ अपील दायर की तो अदालत ने यह टिप्पणी की। बेंच ने कहा कि यदि दोषी करार दिया गया शख्स अपनी बेटियों के नाम पर कुछ जमीन करता है तो हम थोड़ी राहत पर विचार कर सकते हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने दहेज की मांग को लेकर महिला के उत्पीड़न करने के मामले में शख्स को जमकर लताड़ लगाई।

अदालत ने कहा, 'आप कैसे इंसान हैं, जो अपनी बेटियों की भी कोई परवाह नहीं करते? आखिर ऐसे क्रूर शख्स को हम कैसे कोर्ट में आने की परमिशन दे सकते हैं। सारा दिन घर पर कभी सरस्वती पूजा और कभी लक्ष्मी पूजा और फिर यह सब।' बेंच ने कहा कि हमें आपको राहत देने के लिए कुछ आदेश तभी दे सकते हैं, जब आप अपनी खेती की कुछ जमीन बेटियों के नाम कर देंगे। उन्होंने कहा, 'यदि आप कहेंगे कि मैं बेटियों को खेती की जमीन ट्रांसफऱ करने के लिए तैयार हूं तो फिर हम आपके लिए कुछ राहत वाला आदेश पारित कर सकते हैं।' याचिकाकर्ता योगेश्वर साव को निचली अदालत ने 2015 में दोषी करार दिया था और उसे ढाई साल की सजा सुनाई गई थी।

ट्रायल कोर्ट ने योगेश्वर को पत्नी से 50 हजार रुपये का दहेज मांगने को लेकर दोषी करार दिया था। कपल की शादी 2003 में हुई थी और उनकी दो बेटियां हैं। महिला ने आरोप लगाया था कि उसने जबरन उसका गर्भाशय हटवा दिया था। इस मामले में निचली अदालत ने सजा दी थी तो वहीं झारखंड हाई कोर्ट ने उसे 11 महीने की कैद के बाद राहत दी थी और सजा को निलंबित किया था। फिर सितंबर 2024 में उच्च न्यायालय ने उसे दोषी करार दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि पत्नी का गर्भाशय जबरन हटवाने के मामले में उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला है। लेकिन उसे डेढ़ साल की सजा अदालत ने सुनवाई और एक लाख का जुर्माना देने का भी आदेश दिया। फिर उस शख्स ने दिसंबर में उच्चतम न्यायालय में अर्जी दाखिल की।


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