प्रेग्नेंट महिला के साथ ऐसा व्यवहार....CID की टीम को पहुंचना पड़ा

पति ने बताया कि उसकी पत्नी के साथ दुर्व्यवहार भी किया जा रहा है।

Update: 2024-06-30 04:20 GMT

सांकेतिक तस्वीर

रांची: झारखंड में अस्पताल में भर्ती एक प्रेग्नेंट महिला का पति मदद की गुहार लेकर पुलिस के पास पहुंचा। उसने बताया कि उसकी पत्नी को अस्पताल में झाड़ू-पोछा लगाने की धमकी दी जा रही है। अस्पताल के डायरेक्टर और मैनेजर पर उसने गाली-गलौज करने का आरोप लगाया। पति ने बताया कि उसकी पत्नी के साथ दुर्व्यवहार भी किया जा रहा है। इस मामले में सीआईडी की टीम ने प्रसूता को अस्पताल से मुक्त कराया।
दरअसल, पैसे वसूली के लिए खूंटी निवासी प्रसूता को बंधक बनाए जाने का खुलासा होने के बाद बरियातू-बूटी रोड के जेनेटिक अस्पताल के खिलाफ कई और गंभीर आरोप लगे हैं। पीड़ित मंगलू सिंह ने गुरुवार को अस्पताल निदेशक मनोज अग्रवाल और मैनेजर राजा खान पर केस दर्ज कराया है। मनोज अग्रवाल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उसकी प्रसूता पत्नी से झाड़ू-पोछा लगवाकर पैसे की वसूली करने की धमकी दी थी। पत्नी से दुर्व्यवहार भी किया गया था। बता दें कि पुलिस जांच में जुटी गई है।
हाईकोर्ट ने इसमें स्वत: संज्ञान लिया है। उल्लेखनीय है कि पत्नी को बचाने की गुहार लगाने पर सीआईडी टीम ने प्रसूता को मुक्त कराया था। मंगलू का आरोप है कि वह पत्नी से मिलने जाता था तो दोनों आरोपी जातिसूचक गालियां देते थे। धमकी देते कि पैसे नहीं देने पर उसकी पत्नी से पूरे अस्पताल में झाड़ू-पोछा करवाते रहेंगे। इसके बाद उन्होंने सीआईडी के अधिकारी से संपर्क किया।
मंगलू ने आरोप लगाया है कि अस्पताल मरीजों को लाने के लिए ऑटोवालों को भी कमीशन देता है। उन्होंने कहा है कि रांची आने पर ऑटोवाले ने रिम्स में इलाज अच्छा नहीं होने की बात कही और जेनेटिक अस्पताल ले गया था। काउंटर में बैठे लोगों ने ऑपरेशन में 1.20 लाख के अलावा दवा खर्च अलग से होने की बात कही थी। लेकिन छुट्टी देने को कहने पर निदेशक व मैनेजर ने उनसे 1.60 लाख की और मांग की थी।
पारस अस्पताल में शुक्रवार को एक सड़क दुर्घटना के बाद घायल को भर्ती कराया गया था। घायल के परिजनों ने आरोप लगाया कि न तो आयुष्मान और न ही ईएसआईसी के तहत इलाज किया गया। भर्ती के समय 50 हजार रुपए दिए गए थे। उसके बाद जब पैसे मांगे गए तो शनिवार को दूसरे अस्पताल ले जाने की बात कही। पर सिर्फ इन 12 घंटे के लिए 1.60 लाख का बिल थमा दिया गया। इसपर परिजनों ने जमकर हंगामा किया। हंगामा के बाद अस्पताल प्रबंधन ने बिल घटाया। अस्पताल के डायरेक्टर डॉ नितेश कुमार ने बताया कि मरीज काफी गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था। पेट में इंज्युरी थी। आंत बाहर आ गई थी। तत्काल ऑपरेशन किया गया। जो भी वाजिब शुल्क था, वही चार्ज किया गया। हालांकि, विवाद के बाद उन्हें डिस्काउंट करते हुए मरीज को डिस्चार्ज किया गया। आयुष्मान से इलाज नहीं होने पर उन्होंने बताया कि दुर्घटना में आयुष्मान से इलाज नहीं होता है।
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