अध्ययन में दावा-वैक्सीन लगने के बाद केवल 5 फीसदी हेल्थकेयर वर्कर्स को हुआ कोरोना, किसी की नहीं हुई मौत

कोरोनावायरस के खिलाफ भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है

Update: 2021-06-16 17:26 GMT

कोरोनावायरस के खिलाफ भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया जा रहा है. केंद्र सरकार लगातार लोगों से वैक्सीन लगवाने की अपील कर रही है. हालांकि उनके मन में एक सवाल जरूर उमड़ता रहता है कि वैक्सीन लगने के बाद कोरोना होगा या फिर नहीं. इस बीच देशभर में अपोलो अस्पताल की यूनिट्स में 31,000 से अधिक वेक्सीनेटिड हेल्थकेयर वर्कर्स पर एक अध्ययन किया गया है, जिसमें पाया गया है कि वैक्सीन लगने के बाद 5 फीसदी से भी कम हेल्थकेयर वर्कर्स कोविड से संक्रमित हुए हैं और बहुत कम अस्पताल में भर्ती होने आवश्यकता पड़ी. साथ ही साथ किसी के भी मृत्यु होने की बात सामने नहीं आई है.

वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत 16 जनवरी को की गई थी तब से लेकर 31 मई तक देश के 24 शहरों में अपोलो अस्पतालों की 43 यूनिट्स के 31,621 हेल्थकेयर वर्कर्स (एचसीडब्ल्यू) को अध्ययन में शामिल किया गया. इनमें 25907 यानि 81.9 फीसदी लोगों को वैक्सीन के डोज लग चुके थे. वहीं 5714 (18.1%) हेल्थ केयर वर्कर्स ने केवल पहली डोज ली थी.
खबरों के अनुसार अध्ययन में पाया गया है कि 31621 वैक्सीनेट लोगों में से 1355 कोविड संक्रमित हुए, जोकि 4.28 फीसदी हैं. वहीं, 90 (0.28%) संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ी. इनमें से केवल तीन मरीजों को आईसीयू केयर में भर्ती कराया गया, जबकि किसी भी संक्रमित की मौत नहीं हुई. वेक्सीनेटिड हेल्थकेयर वर्कर्स में 28918 ने कोविशील्ड लगवाई, जबकि 2703 लोगों को कोवैक्सिन दी गई. जिन लोगों को कोविशील्ड लगी उनमें पोस्ट-वैक्सीन संक्रमण होने के 4.32 फीसदी मामले मिले और जिन लोगों को कोवैक्सिन लगी उनमें 3.85 फीसदी मामले सामने आए.
अस्पताल में भर्ती कराए गए थे 48 पुरुष और 42 महिलाएं
अपोलो अस्पताल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर अनुपम सिब्बल ने कहा कि पूरी तरह से वैक्सीनेटिड वर्कर्स में से 1061 ने (4.09%) वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण की सूचना दी, जबकि 294 (5.14%) वर्कर्स पहला डोज लेने के बाद संक्रमित हुए. अध्ययन की सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि वैक्सीन लगने के बाद कोविड संक्रमण से कोई मौत नहीं हुई. अध्ययन करने के प्रमुखों में शामिल डॉ राजू वैश्य ने कहा कि जिन 90 संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हुई उनमें 48 पुरुष और 42 महिलाएं शामिल थीं. इनमें 83 संक्रमित ऐसे थे जिनकी उम्र 50 वर्ष से कम थी.


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