हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला (Deputy CM Dusyant Chautala) ने रविवार को कहा कि करनाल के अनुमंडल दंडाधिकारी (SDM) आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिन्होंने शनिवार को राज्य में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का सिर फोड़ने के लिए कहा था. बता दें कि इस घटना का एक वीडियो वायरल हुआ था. इस पर न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में हरियाणा के डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला ने कहा कि 'किसानों के लिए एक IAS अधिकारी द्वारा इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल निंदनीय है. निश्चित तौर पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.'
SDM आयुष सिन्हा का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पुलिसकर्मियों से विरोध करने वाले किसानों के सिर पर प्रहार करने के लिए कहा गया था, अगर उन्होंने बैरिकेड्स पार करने की कोशिश की. वीडियो को भाजपा सांसद वरुण गांधी ने साझा किया था. उन्होंने लिखा था कि 'मुझे उम्मीद है कि यह वीडियो संपादित किया गया है और डीएम ने यह नहीं कहा होगा. लेकिन अगर ऐसा कहा गया है तो यह हमारे अपने नागरिकों के लिए लोकतांत्रिक भारत में अस्वीकार्य है.
बता दें कि भाजपा की एक बैठक के विरोध में करनाल की ओर जा रहे किसानों के एक समूह पर राज्य पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करने के बाद शनिवार को करीब 10 लोग घायल हो गए, जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, राज्य भाजपा प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ व अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. मीडियाकर्मियों द्वारा पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा कि उन्हें वीडियो की जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि धारा 144 के अनुपालन के लिए कुछ निर्देश दिए गए होंगे क्योंकि पथराव किया जा रहा था. SDM आयुष सिन्हा ने कहा कि "यह बहुत सरल और स्पष्ट है, वह कोई भी हो, चाहे कहीं से भी हो, किसी को भी वहां पहुंचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. हम इस लाइन को किसी भी कीमत पर टूटने नहीं देंगे. बस अपनी लाठी उठाओ और उन्हें जोर से मारो… यह बहुत स्पष्ट है, किसी निर्देश की कोई आवश्यकता नहीं है, बस उन्हें जोर से पीटें. अगर मैं यहां एक भी प्रदर्शनकारी को देखता हूं, तो मैं उसका सिर फोड़ते, उनके सिर फोड़ते देखना चाहता हूं,"
इधर, हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने करनाल लाठीचार्ज पर कहा कि लोकतंत्र लाठी और गोली से नहीं चलाया जा सकता. सरकार लोगों का दिल जीतने से चलती है. समस्या का समाधान बातचीत से निकलता है. बातचीत से समाधान निकालना चाहिए. लाठी चलाने से आवाज नहीं दबती है. कल जो कुछ भी हुआ उसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. किसी अधिकारी को पुलिस को इस तरह निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं है. वर्दी वालों को जो निर्देश दिए जा रहे थे वो थानेदार, एसपी या डीएसपी का काम है.