'स्टोनमैन' का आतंक बरकरार, कई लोगों पर पत्थर से हमला, 1 की हत्या

सड़कों पर इन दिनों स्टोनमैन का खौफ है.

Update: 2021-07-24 07:10 GMT

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कोलकाता. कोलकाता की सड़कों पर इन दिनों स्टोनमैन का खौफ है. शहर में इन दिनों कई जगहों पर लोगों ने स्टोनमैन (Kolkata Stoneman) के हमले की शिकायत की है. राह चलते या फिर सड़क किनारे सो रहे लोगों पर पत्थर से हमले के कई मामले सामने आए हैं, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई. ये स्टोनमैन कौन है और ऐसा क्यों कर रहा है, पुलिस को अभी तक इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है. फिलहाल पूरे घटनाक्रम पर नज़र रखी जा रही है. हैरानी की बात ये है कि शहर के कई इलाकों में ऐसी घटनाएं हो रही हैं.

ऐसा ही एक वाकया मंगलवार रात उत्तरी कोलकाता के बीके पाल एवेन्यू में हुआ. स्थानीय निवासी 26 साल के ओमप्रकाश शर्मा एक सड़क किनारे एक होटल चलाते हैं. वो गर्मी के चलते उस रात होटल के बाहर फुटपाथ पर सो गए. जहां कथित रूप से स्टोनमैन ने पत्थर से उनका सिर कुचल दिया. बुधवार सुबह उनके परिवारवालों ने देखा कि उसके सिर में गंभीर चोट आई है.
स्टोनमैन से खौफज़दा ओमप्रकाश के परिवार ने शिकायत की है कि उनके इलाज में लापरवाही बरती गई है. बुधवार की सुबह परिजनों ने ओमप्रकाश को घायल देखा तो वे उसे पहले आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले गए, जहां उन्हें देखे बिना दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया. उसके बाद परिवार उसे कलकत्ता मेडिकल कॉलेज ले गया, जहां उन्हें आखिरकार इमरजेंसी ऑब्जर्वेशन वार्ड में भर्ती कराया गया. हालांकि, परिवार ने शिकायत की है कि ओमप्रकाश के सिर पर सिर्फ पट्टी बंधी थी. दिन भर में एक बार भी डॉक्टर उसे देखने नहीं आए. इस कारण अगले दिन परिजन भड़क गए, जिसके बाद उन्होंने अस्पताल अधीक्षक को लिखित शिकायत दी तो उन्होंने इलाज का आश्वासन दिया.
मरीज को शाम करीब 5 बजे सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में कोरोना टेस्ट के लिए ले जाया गया, लेकिन कुछ ही मिनटों में वार्ड ने परिवार को सूचित किया कि ओमप्रकाश की मौत हो गई है. ओमप्रकाश की मां रीता शर्मा कहती हैं, 'मेरे बच्चे ने कुछ भी गलत नहीं किया, तो उसे इस तरह से इलाज के बिना दुनिया क्यों छोड़ना पड़ा. अगर वो ऑपरेशन टेबल पर मर जाता, तो मुझे कोई शिकायत नहीं होती, लेकिन उसका इलाज ही नहीं हुआ.'
ओमप्रकाश की मौत की खबर सुनकर परिजन भड़क गए. बाउ बाजार थाने की पुलिस मौके पर पहुंची. दोनों पक्षों के बीच कुछ बहस के बाद जांच का आश्वासन मिलने पर परिजन शांत हुए. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. वहीं मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने इलाज न किए जाने के आरोप को पूरी तरह से खारिज किया है. अस्पताल के अधिकारियों का दावा है कि कोविड रिपोर्ट मिलने के बाद वो ऑपरेशन करने वाले थे. मरीज निगरानी में था. हालांकि, सवाल ये उठता है कि गंभीर रूप से घायल मरीज का आपातकालीन आधार पर ऑपरेशन क्यों नहीं किया गया.
कोलकाता में कथित रूप से स्टोनमैन के हमले की बात कोई नई नहीं है. साल 1989 में भी यहां इस तरह की घटना सामने आई थी. यहां पत्थर मारकर 13 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इन हत्याओं में आम बात ये थी कि पीड़ितों का सिर भारी पत्थर से कुचल दिया गया था. ये सभी 13 लोग बेघर और फुटपाथ पर रहने वाले थे. तब ऐसा माना गया था उन पर आधी रात के बाद या सुबह के समय हमला किया गया था. उस वक्त पीड़ितों में से किसी की भी पहचान नहीं की जा सकी, क्योंकि कोई भी उनके शवों पर दावा करने के लिए आगे नहीं आया. अधिकांश हत्याएं हावड़ा ब्रिज से सटे मध्य कोलकाता में हुईं. इस कथित स्टोनमैन को किसी ने नहीं देखा था, लेकिन कोलकाता पुलिस को संदेह था कि हत्यारा मानसिक रूप से अस्थिर है.

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