हर दिन कुछ लम्हें चुराकर इस साल की गुल्लक में भरते चलें...

Update: 2022-12-29 08:19 GMT

अतुल मलिकराम (समाजसेवी)

इस ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति कब और कैसे हुई, इसका सटीक उत्तर समय के पन्नों में दफ्न है। वही समय, जो सतत रूप से दिन और रात की ओट में लुका-छिपी खेलकर प्रकृति और हमारे जीवन को गति दे रहा है। वही समय, जिसकी पारी में कभी-भी दिन के बाद रात और रात के बाद दिन होने की प्रक्रिया रूकती नहीं है। कालचक्र के ये दिन और रात अरसों से बिना अनुपस्थित हुए अपनी हाजिरी लगाते आ रहे हैं। कहने का अर्थ यह है कि निरंतर चलने वाला समय का पहिया कभी नहीं रुकता है। इतिहास गवाह है कि एक दिन के 24 घंटों और एक वर्ष के 12 महीनों में कभी फेर-बदल नहीं हुआ है। इसी के अनुसार सारी दुनिया अपनी दिनचर्या तय करती है। काम-काज, परिवार, समाजसेवा और अन्य तमाम जिम्मेदारियों की आड़ में ये दिन के 24 घंटे और साल के 12 महीने कब बीत जाते हैं, कहाँ पता चलता है? अपनी खुशियों और स्वास्थ्य के लिए इस भागते-दौड़ते जीवन में समय कहाँ बचता है?

सेकंड, मिनट, घंटे, दिन, सप्ताह और महीनों के आगे बढ़ने के साथ ही समय हमें नए वर्ष- 2023 की चौखट पर ले आया है। लेकिन, इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण अक्षरों से लिखी एक वर्ष में 12 महीने की गाथा को बदलने का अब समय आ गया है। वर्ष 2023, 12 महीनों का नहीं, बल्कि 14 महीनों का होगा। इन दोनों नए महीनों में से पहला महीना वसूली है उन खुशियों की, जो पिछले साल हमने जिम्मेदारियों के ऊपर न्यौंछावर कर दीं, और दूसरा महीना वसूली है स्वास्थ्य की, जिस पर वर्षभर हमारा ध्यान ही नहीं गया।

अब यह वर्ष 14 महीने का कैसे होगा, यह भी सुन लीजिए। आम आदमी को सोने के लिए मानक समय कम से कम 8 घंटों का चाहिए होता है। यदि हम अपनी खुशियों का मोल जानकर खुद के साथ समय बिताने के लिए अपनी नींद में से 2 घंटे प्रतिदिन कम कर दें, तो हम अपने 30 दिनों के महीने से सीधे तौर पर 60 घंटे बचा लेंगे। अब यदि हम 12 महीनों तक ऐसा करने में समर्थ हो पाए, तो समझो कि हमने पूरे वर्ष में से 720 घंटों पर जीत हासिल कर ली है। एक दिन के 24 घंटे से इसे विभाजित करने पर हम सीधे-सीधे 30 दिन यानि 1 महीना अपने नाम कर लेंगे, जिसका नाम है 'हैप्पीनेस'। खुद के साथ समय बिताने के लिए इस महीने को अपने 2023 के कैलेंडर में जरूर जोड़ें।

हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में अपने गंतव्य पर आने-जाने, तैयार होने में लगा समय प्रतिदिन लगभग 2 घंटे व्यर्थ करता है। यदि हम महामारी की वजह से मिले वर्क फ्रॉम होम को कल्चर की तरह फॉलो करें, तो अपनी निजी जिंदगी से प्रतिदिन के 2 घंटे अपने नाम कर लेंगे और उपरोक्त सूत्रों के अनुसार 1 और महीना सिर्फ हमारा होगा, जिसका नाम है 'हेल्थ'। काम-काज से परे अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए इस एक महीने को अपने नए वर्ष के कैलेंडर में जरूर जोड़ें।

इस प्रकार वर्ष 2023, 12+2=14 महीनों का होगा। तो सूत्र कंठस्थ कर लें: 2x30=60x12=720/24=30 दिन। इन दो महीनों में वो काम करें, जिन्हें करने के लिए आपको 12 महीने कम पड़ जाते हैं, क्योंकि इन पर सिर्फ और सिर्फ आपका अधिकार है। अपनी खुशियों और स्वास्थ्य की परवाह किए बिना जिन पैसों को कमाने की होड़ में हम अपनी युवा अवस्था दाँव पर लगा रहे हैं, यकीन मानिए, उम्र के अगले पड़ाव पर इन पैसों से मोह खत्म हो चुका होगा, तब जरुरत होगी खुशियों की, बेहतर स्वास्थ्य की और किसी के साथ की..... इसलिए मेरी सलाह है कि हर दिन कुछ लम्हें चुराकर इस साल की गुल्लक में भरते चलें.....

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