14 साल की सजा पूरी कर चुके कैदियों को रिहा कर सकते हैं राज्य, सुप्रीम कोर्ट ने लिया फैसला

न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और एएस बोपन्ना की पीठ ने एक फैसले में यह टिप्पणी की।

Update: 2021-08-03 18:02 GMT

न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और एएस बोपन्ना की पीठ ने एक फैसले में यह टिप्पणी की। हालांकि, अदालत ने कहा कि अगर कैदी ने 14 साल या वास्तविक सजा पूरी नहीं की है तो उस स्थिति में राज्यपाल के पास संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत क्षमा, राहत, सजा की छूट या सहायता, सजा को निलंबित करने, हटाने या कम करने की शक्ति है। राज्य सरकार और यह प्राधिकरण सीआरपीसी के तहत लगाए गए प्रतिबंधों को हटा देता है।

इसके साथ ही शीर्ष अदालत की पीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ की ओर से दिए गए 12 मई 2020 के फैसले को रद्द कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य सरकार द्वारा कैदियों को रिहा करने की शक्ति पर हरियाणा की 13 अगस्त 2008 की नीति को बरकरार रखते हुए कहा कि यह सीआरपीसी के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और पहले के आदेश के अधिक्रमण में जारी किया गया था।
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