शिमला। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह ने कहा कि राज्य में निर्माण कार्य के लिए मानक तय होंगे। इसके तहत यह अध्ययन किया जाएगा कि किस जमीन पर कैसी इंजीनियरिंग ठीक रहेगी। इसमें इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि कच्ची और पक्की जमीन पर कितनी मंजिलों का निर्माण किया जाएगा, साथ ही कौन-सी जगह निर्माण कार्य के लिए उपयुक्त नहीं है। उन्होंने कहा कि 40 वर्षों से मकान निर्माण को लेकर चल रही व्यवस्था पर किसी ने ध्यान नहीं दिया, जिसके समाधान को लेकर सरकार आगे बढ़ेगी। सीएम यहां पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आपदा के बाद शिमला में पेड़ काटने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। पेड़ों का कटान सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद ही किया जाएगा कि वे खतरनाक हैं या नहीं?
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी वर्षा में जिन लोगों के मकानों व जमीनों को नुक्सान पहुंचा है, उनकी मदद का रास्ता निकालने पर सरकार विचार कर रही है। राज्य सरकार को इसके लिए केंद्र सरकार से विशेष पैकेज के मिलने का इंतजार है, ताकि प्रभावितों की मदद की जा सके। उन्होंने कहा कि लैंड लैस हुए लोगों की एफसीए-एफआरए एक्ट के तहत कैसे मदद हो सकती है, इसे लेकर पत्र लिखा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मक डिस्पोजल को लेकर व्यवस्था बनाई जाएगी। इसके तहत नाले व अन्य स्थानों पर गिराए जाने वाले कचरे को ठिकाने लगाने में मदद मिलेगी। यह व्यवस्था न होने से कई बार कचरा नालों एवं अन्य स्थानों पर गिराया जाता है, जिससे लैंड स्लाइड का खतरा बना रहता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान एवं बागवानों के फल एवं सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इसे लेकर सड़कों को दुरुस्त करने का क्रम जारी है। उन्होंने कहा कि मौसम साफ होने के बाद भी कुल्लू में लैंडस्लाइड आया है।