धोखे से बेटों ने किया करोड़ो की संपत्ति अपने नाम, 97 साल के बुजुर्ग को हाईकोर्ट से भी नहीं मिला न्याय

Update: 2023-05-16 01:38 GMT

दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने 97 वर्ष के एक बुजुर्ग की याचिका को खारिज कर दिया। वकील के माध्यम से दाखिल याचिका में बुजुर्ग ने अपने दो बेटों पर धोखे से संपत्ति गिफ्ट के रूप में अपने नाम करने और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। हाईकोर्ट ने पिता की देखरेख न करने और प्रताड़ित करने के आधार पर बेटों के नाम उपहार स्वरूप करोड़ों की संपत्ति के ट्रांसफर को रद्द करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि माता-पिता, वरिष्ठों नगारिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 की धारा 23 के प्रावधानों को अधिसूचना जारी होने से पहले की तारीख से लागू नहीं किया जा सकता है। इस कानून को 2008 से लागू किया गया था।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली बुजुर्ग की याचिका को खारिज कर दिया। उन्होंने इस कानून की धारा 23 के उस प्रावधान के संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया है कि माता-पिता की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने में विफल रहने और उन्हें प्रताड़ित करने पर उनके द्वारा संतानों के नाम उपहार या किसी भी तरह से की गई संपत्ति के ट्रांसफर को अमान्य माना जाएगा।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि याचिकाकर्ता द्वारा बेटों के नाम उपहार के तौर पर दी गई संपत्ति को अमान्य घोषित करने के लिए विशेषाधिकार का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। हालांकि, अदालत ने बुजुर्ग को बेटों के खिलाफ समुचित फोरम में शिकायत करने की छूट दी है। वकील सुदर्शन राजन के माध्यम से दाखिल याचिका में 97 साल के बुजुर्ग ने आरोप लगाया कि दो बेटों ने लाजपत नगर इलाके में स्थित संपत्ति के बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल को धोखे से गिफ्ट के रूप में अपने नाम करवा लिया। उस वक्त हर फ्लोर का 10 लाख से अधिक किराया आता था। बुजुर्ग ने दोनों बेटों पर प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया है। इसी वजह से मई, 2007 में की गई गिफ्ट डीड को रद्द करना चाहते हैं।


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