Pulses And Vegetables के आसमान छू रहे दामों ने बिगाड़ा रसोई का बजट

Update: 2024-06-24 10:22 GMT
Jukhaala. जुखाला. पिछले करीब एक माह से बढ़ रहे सब्जियों और दाल के दामों ने गृहणियों की रसाई का बजट बिगाड़ दिया है। एक तरह से दाल-सब्जियों के दाम पूरी तरह से आसमान छू रहे हैं। ऐसे में महिलाओं की रसाई भी गड़बड़ाती हुई नजर आ रही है। हालांकि हर वर्ग ही इन बढ़ते दामों के चलते हर वर्ग प्रभावित है। लेकिन खासकर मध्यम वर्ग के परिवारों का रसोई बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है। मार्कंडेय के देशराज का कहना है कि 90 रुपए किलोग्राम बिकने वाले राजमाह इस समय 125 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहे हैं। वहीं, 80 रुपएवाले रोंग ने भी 100 का आंकड़ा पार कर दिया है। रसोई के राशन ने रसोई का बजट नहीं बल्कि पूरे का पूरा बजट बिगाड़ दिया है। ऐसे में आम आम आदमी का
गुजारा कैसे हो पाएगा, सोचनीय है।
गसौड़ के माजिद खान का कहना है कि महंगाई को ऐसी आग लगी है कि उसने सभी का जीना मुश्किल कर दिया है। इस महंगाई में गरीब आदमी खाए क्या, यह चिंता उसे दिन भर सताती रहती है। जब सब्जी या राशन की दुकान पर कुछ खरीदने के लिए जाते हंै, तो भाव सुनते ही पसीने छूटते हंै। कोठी बताला की मीना देवी का कहना है कि टमाटर भी दिन प्रतिदिन लाल होता जा रहा है। टमाटर 50 रुपए किलोग्राम तक पहुंच गया है। वहीं कोई भी सब्जी 50 रुपए किलोग्राम से कम नहीं है। गरीब आदमी को रसोई चलाना मुश्किल हो गया है। इतनी महंगाई पहुंच से बाहर हो रही है। घर का गुजारा करना मुश्किल है। सोलग के अनिल सोनी का कहना है कि सरसों के तेल में ही एक माह में 25 फीसदी की वृद्धि हो गई है। हालत ऐसे हो गए हैं कि अब तेल का तडक़ा सब्जी को नहीं बल्कि इंसानों को लग रहा है। लोग परेशान हो चुके हैं। ऐसे में आम आदम क्या करे।
गसौड़ के हरकेश चंदेल का कहना है कि एक माह पहले तक चने की दाल 70 रुपएकिलोग्राम थी, जो अब वर्तमान में 95 रुपए प्रति किलोग्राम पहुंच गई है। एक माह में ही चने की दाल के भाव में 35 फीसदी की वृद्धि हुई है। इतनी महगाई में रसोई का बजट आसमान पर पहुंच गया है। ऐसे में गरीब आदमी पूरी तरह से चिंतित है। गसौड़ की ललिता धीमान का कहना है कि अरहर की दाल 200 रुपए तक पहुंच गई है। जोकि 150 रुपये किलोग्राम थी। ऐसे में रसोई का बजट पूरी तरह से चरमराया हुआ है। आम जन को अब रसोई चलाना भी मुश्किल हो गया है। इतनी महंगाई पहुंच से बाहर हो रही है। घर का गुजारा करना बहुत ही मुश्किल होता जा रहा है।
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