Sirohi अंतरराष्ट्रीय मैराथन दौड़ 18 अगस्त को, तैयारियों को लेकर बैठक हुई

Update: 2024-08-16 11:28 GMT
Sirohi. सिरोही। सिरोही राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आगामी 18 अगस्त को विश्व बंधुत्व दिवस के रूप में अंतरराष्ट्रीय मैराथन दौड़ की तैयारियों को लेकर होटल हिलॉक के सभाहॉल में बैठक हुई।मैराथन दौड़ समिति सदस्य बीके भानू ने बताया कि समाज के सभी वर्गों को एकता के सूत्र में पिरोने के लिए विश्व बंधुत्व भाव को मजबूत करने के लिए हॉफ मैराथन दौड़ में अमेरिका, इथोपिया, केनीया, जर्मनी आदि विभिन्न देशों से लेकर भारत समेत 3500 प्रतियोगी शामिल होंगे। मैराथन सयोजन समिति सदस्य बीके सचिन ने बताया कि हाफ मैराथन दौड़ को तलहटी मनमोहिनी वन से हरी झंडी दिखाई जाएगी। जो सड़क मार्ग से बाधनाला, छिपा वेरी, सात धूम, फॉरेस्ट व्यू, आरना हनुमान मंदिर, बीस नं पिलर, माउंट आबू प्रवेश द्वार से गोमुख चौक, बस स्टैंड, रोटरी सर्कल, चाचा म्यूजियम चौक, अंबेडकर चौक, नक्की मार्केट, भारत माता नमन स्थल, दादी प्रकाशमणि मार्ग होते हुए ओम शान्ति भवन में संपन्न होगी।सीआई सुरेश चौधरी ने कहा कि मैराथन को लेकर सुरक्षा व्यवस्था को पुलिस की ओर से संपूर्ण व्यवस्था की जा रही है। चिकित्सकीय सेवाओं के लिए विभिन्न स्थानों पर चिकित्सक एम्बुलेंस व अपनी टीम के
साथ उपलब्ध रहेंगे।

सवेरे छह बजे से दौड़ के दौरान आबूरोड-माउंट आबू मार्ग पर यातायात बंद रहेगा। समाजसेवी गीता अग्रवाल ने कहा कि हॉफ मैराथन दौड़ में समाज के सभी वर्गों की सहभागिता से ही विश्व बंधुत्व की भावना को मजबूत किया जा सकता है। सहायक कमांडेंट सीआरपीएफ प्रेम नारायण मिश्रा कहा कि मैराथन दौड़ जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सामाजिक सौहार्द को बल मिलता है। धावकों को बेहतर व्यवस्था प्रदान करने को कार्यक्रम संयोजक सहभागियों का आपसी तालमेल होना जरूरी है।सीआई सुरेश चौधरी ने कहा कि मैराथन को लेकर सुरक्षा व्यवस्था को पुलिस की ओर से संपूर्ण व्यवस्था की जा रही है। चिकित्सकीय सेवाओं के लिए विभिन्न स्थानों पर चिकिसक एंबुलेंस व अपनी टीम के साथ उपलब्ध रहेंगे। सवेरे छह बजे से दौड़ के दौरान आबूरोड-माउंट आबू मार्ग पर यातायात बंद रहेगा।इस अवसर पर संगठन के प्रबंधक बीके अवतार, लायंस क्लब अध्यक्ष अंजना गुजराल, सचिव अजय बंसल, टैक्सी यूनियन अध्यक्ष प्रवीण सिंह, नेता प्रतिपक्ष सुनील आचार्य, स्काउट गाइड सीओ जितेंद्र भाटी, बाबूसिंह परमार, सलिल कालमा आदि ने विचार व्यक्त किए।
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