Shri Krishna Janmashtami: मथुरा-वृंदावन में कृष्णा जन्माष्टमी की तैयारी शुरू
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New Delhi. नई दिल्ली। देशभर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम है. मंदिर रौशनी से जगमगा रहे हैं और फूल-मालाओं से सजी उनकी दीवारें खिली-खिली लग रही हैं. मोरपंख से प्रांगण सजे हैं और घंटा-घड़ियालों के बीच 'हाथी-घोड़ा पालकी-जय कन्हैया लाल की' का स्वर उठता है तो आसमान तक गूंज जाता है. श्रद्धालुओं की श्रद्धा में प्रकृति भी ऐसी ताल मिला रही है कि रह-रहकर बादल घिर आते हैं और झूमकर बरसते हैं. दिल्ली-एनसीआर से लेकर जन्मभूमि मथुरा तक तो यही नजारा है, लेकिन कान्हा के जन्मोत्सव की धूम सिर्फ किसी गांव, जिले, शहर और प्रदेश तक सीमित नहीं है, जयकारा एक जगह से उठता है तो अपनी-अपनी बोली में देश के हर कोने से गूंजता है।
मथुरा के लाला कन्हैया की जयकार, केरल तक पहुंचकर गोविंदाय नमो नमः में तब्दील हो जाती है, भाषाएं भले ही अलग हों लेकिन भाव एक है, श्रद्धा भी एक है और उल्लास भी एक ही है. कविवर रसखान ने इसी बात को अपने लहजे में कुछ ऐसे लिखा था। रसखान कवि के कहने का मतलब ये है कि जब से उन्होंने श्रीकृष्ण का दिव्य स्वरूप देखा, उनका मन संसारिक मोह-माया से हटकर अपने कन्हैया के ही प्रेम में डूब गया. कोई और रंग (इच्छा) अब बाकी ही नहीं रहा है, जो रंग बाकी है वह रंग रंगीले (श्रीकृष्ण) के प्रेम का ही रंग बाकी है।
अब बात करें देशभर में जन्माष्टमी की धूम की तो मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर भागवत भवन की सजावट और भव्यता बारिश के बाद और भी निखर गई है. शहर के मंदिरों और बाजारों में रौनक छाई हुई है, भक्तगण कान्हा की पोशाक से लेकर श्रृंगार के सामान तक, सब कुछ खरीदने में व्यस्त हैं. वहीं, जन्मभूमि मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है. यहां दरबार में सनातन युगल जोड़ी के दिव्य दर्शन हो रहे हैं, देर रात 12 बजे के बाद जब जन्म अभिषेक हो जाएगा तब बाल कृष्ण, लड्डू गोपाल के दर्शन होंगे।
के इस्कॉन मंदिर में इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के इस पावन अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. मंदिर की सजावट और भव्यता देखते बन रही है. चारों ओर रंग-बिरंगी लाइट्स और फूलों की सजावट ने मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा दिए हैं. इसके साथ ही यहां 'हरे कृ्ष्ण-हरे कृष्ण का जो जाप चल रहा है, उससे पूरा परिसर भक्तिमय आनंद में डूबा हुआ है. लोगों द्वरा दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए मंदिर में आना तो सुबह से ही शुरू हो गया. श्रद्धालुओं ने व्रत रखा और श्रीराधा-कृष्ण की युगल छवि के दर्शन किए. देर रात जन्म के बाद भगवान को पालना दिया जाएगा और तब भक्त उन्हें पालना झुलाएंगे. इस दौरान मंदिर में कीर्तन और भजन भी जारी हैं।