तेलंगाना में बीजेपी को झटका, आई ये खबर

Update: 2022-10-21 09:59 GMT
हैदराबाद (आईएएनएस)| तेलंगाना में भाजपा को झटका देते हुए वरिष्ठ नेता दासोजू श्रवण ने मुनुगोड़े पार्टी पर मतदाताओं के बीच पैसे, मांस और शराब बांटने का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को पार्टी छोड़ दी।
उनका इस्तीफा कांग्रेस पार्टी छोड़ने और भगवा पार्टी में शामिल होने के तीन महीने से भी कम समय बाद आया है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण के अब तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में शामिल होने की संभावना है।
भाजपा की तेलंगाना इकाई के अध्यक्ष बांदी संजय कुमार को लिखे पत्र में श्रवण ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के अपने फैसले से अवगत कराया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा मुनुगोड़े विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के बीच पैसा, मांस और शराब बांट रही है, जहां तीन नवंबर को उपचुनाव होना है।
श्रवण ने लिखा कि वह बहुत उम्मीद के साथ भाजपा में शामिल हुए थे, लेकिन पार्टी की दिशाहीन राजनीति से निराश थे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने वैकल्पिक राजनीति का वादा किया था, लेकिन मुनुगोड़े उपचुनाव में उसका रुख निराशाजनक था।
आरोप लगाया कि भाजपा अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को नजरंदाज कर पैसा बांट रही है, ठेकेदारों को प्रोत्साहित कर रही है और निवेश की राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे में मेरे जैसे नेता और समाज के कमजोर वर्ग से आने वालों के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं है।
5 अगस्त को श्रवण ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में पार्टी पर अव्यवस्था का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा था कि वह संगठन में गुलाम की तरह रहने के लिए तैयार नहीं हैं।
उन्होंने 2014 में कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के अपने फैसले का याद करते हुए कहा कि वह तेलंगाना राज्य का निर्माण करने के लिए सोनिया गांधी का आभार प्रकट करने को पार्टी में शामिल हुए थे।
श्रवण ने कहा कि उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की और आरोप लगाया कि रेवंत रेड्डी के पीसीसी अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी ने जाति और धनबल के आधार पर नेताओं को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया।
बाद में वह तेलंगाना के प्रभारी महासचिव तरुण चुग की मौजूदगी में नई दिल्ली में एक कार्यक्रम में भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने दावा किया था कि टीआरएस का विकल्प सिर्फ बीजेपी ही विकल्प दे सकती है।
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