कल होगा शरद यादव का अंतिम संस्कार, मध्य प्रदेश में जाएगा पार्थिव शरीर
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लखनऊ: वरिष्ठ समाजवादी नेता और जनता दल (युनाइटेड) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का अंतिम संस्कार शनिवार को मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले (होशंगाबाद) में उनके पैतृक गांव में होगा. सुबह दिल्ली से चार्टर्ड विमान के जरिए पार्थिव शरीर पहले भोपाल पहुंचेगा. वहां से वाया रोड आंखमऊ गांव जाएंगे. इस संबंध में शरद यादव के निजी सचिव की तरफ से जानकारी दी गई है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव का गुरुवार को 75 साल की उम्र में गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था. निजी सचिव ने बताया कि 14 जनवरी को सुबह 9.15 बजे दिल्ली से चार्टर्ड विमान के जरिए पार्थिव शरीर लेकर 11 बजे भोपाल पहुंचेंगे. वहां से सड़क मार्ग के जरिए 11.15 बजे नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले की बाबई तहसील के आंखमऊ गांव के लिए निकलेंगे. वहां पैतृक गांव में शरद यादव का अंतिम संस्कार किया जाएगा.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, मध्य प्रदेश में जद (यू) के पूर्व अध्यक्ष गोविंद यादव ने बताया कि आंखमऊ गांव में दोपहर करीब 1 बजे अंतिम संस्कार होगा. दिवंगत नेता के भतीजे शैलेश यादव ने बताया कि अंतिम संस्कार शरद यादव के पुत्र शांतनु करेंगे. शरद यादव के परिवार में उनकी पत्नी रेखा, बेटी सुभाषिनी और बेटा शांतनु हैं. सुभाषिनी 2020 में कांग्रेस में शामिल हुई थीं और कांग्रेस के टिकट पर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ी थीं, जिसमें वह हार गई थीं.
बेटी सुभाषिनी यादव ने भी ट्वीट किया और लिखा- मेरे पिता स्व. शरद यादव के पार्थिव शरीर को दिल्ली से उनके पैतृक गांव आंखमाऊं, तहसील बाबई जिला होशंगाबाद कल दिनांक 14 जनवरी 2023 को दोपहर 1.30 बजे अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जायेगा. हम अपने दिल्ली निवास से सुबह 8.45 बजे चार्टर्ड विमान से भोपाल के लिए रवाना होंगे.
बताते चलें कि शरद यादव ने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत एक छात्र नेता के तौर पर की. उन्होंने 1974 में मध्य प्रदेश के जबलपुर से लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की थी. तब शरद को जय प्रकाश नारायण समेत विपक्षी दलों ने समर्थन दिया था. उसके बाद उन्होंने जबलपुर से दूसरी बार भी चुनाव जीता. शरद यादव की जीत ने उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में ला खड़ा किया.
अपने लंबे राजनीतिक करियर में दो बार केंद्रीय मंत्री रहे. पहले वीपी सिंह सरकार में मंत्री बने. बाद में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया. शरद यादव एकलौते ऐसे नेता थे, जिन्होंने तीन राज्यों में राजनीति की और चुनाव जीते. मध्य प्रदेश के बाद वो उत्तर प्रदेश की राजनीति में पहुंचे. यहां बदायूं सीट से चुनाव जीता. बाद में शरद यादव ने बिहार में पैर जमाए. वहां मधेपुरा सीट से शरद यादव ने चार बार लोकसभा चुनाव जीता. शरद ने कुल सात बार लोकसभा चुनाव जीता. जबकि तीन बार वो राज्यसभा के सांसद भी बने.
शरद यादव ने नीतीश कुमार से अनबन के बाद जदयू छोड़ दी थी और 2018 में अपनी नई पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) बनाई थी. हालांकि, अस्वस्थ होने की वजह से वो सक्रिय नहीं हो पाए और मार्च 2022 में उन्होंने LJD का RJD में विलय कर दिया था.
इससे पहले शरद यादव की बेटी सुभाषिनी ने कहा कि पिता जी के विजन को आगे बढ़ाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. पिता शरद यादव ने हजारों लोगों को आवाज दी जो बेजुबान थे. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उनके विचारों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए, खासकर समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ आना होगा. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बहुत दुखद दिन है. वह सिर्फ हमारे पिता नहीं थे, वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हजारों बेजुबानों को आवाज दी. उन्होंने पिछड़े और दलित समाज से संबंधित मुद्दों को उठाया. उन्होंने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू करवाया. इसीलिए उन्हें मंडल मसीहा कहा जाता था. पिता ने समाज के लिए काम किया और पिछड़े वर्गों पर ध्यान केंद्रित किया.
उन्होंने कहा कि लोग महसूस कर रहे हैं कि एक युग समाप्त हो रहा है और एक शून्य पैदा हो गया है. यह हम पर निर्भर करता है कि हम शून्य को भरें. मैं इस विचार के बारे में बात कर रही हूं कि समान विचारधारा वाले लोगों को एक साथ मंच पर आना चाहिए.