जीएसटी फ्रॉड का अलग मामला, 550 फर्जी कंपनियां बनाई गई

Update: 2022-05-31 06:14 GMT

नई दिल्ली: शातिर लोगों का नेटवर्क टैक्स चोरी करने के तरह-तरह के हथकंडे अपनाता है. हाल ही में जीएसटी फ्रॉड (GST Fraud) के एक ऐसे मामले का खुलासा हुआ है, जिसने अधिकारियों को भी हैरान कर दिया है. इस मामले में 2-3 लोगों ने मिलकर 550 फर्जी कंपनियां (Fake Companies) बना दी और सरकारी खजाने को करीब 800 करोड़ रुपये की चपत लगा दी. इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बात है कि फर्जी कंपनियां बनाने के लिए हजारों लोगों की असल पहचान और आईडी कार्ड का इस्तेमाल किया गया.

यह मामला जुड़ा है मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) और गुजरात (Gujarat) से. जीएसटी फ्रॉड का पूरा काम गुजरात से चल रहा था. इस सिलसिले में गुजरात के तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है. अधिकारियों के अनुसार, सेंट्रल जीएसटी इंटेलीजेंस (Central GST Intelligence) ने फ्रॉड के इस नेटवर्क का पता लगाया. यह पहला ऐसा मामला है, जब बिजली बिल का इस्तेमाल कर जीएसटी फ्रॉड को अंजाम दिया गया है. इसके बाद कार्रवाई हुई, जिसमें तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तार हुए लोगों की पहचान सुलेमान करीम (29), शम्सुद्दीन अमीन बोधानी (33) और फिरोज खान (36) के रूप में की गई है. तीनों गुजरात के ही रहने वाले हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि इन तीनों ने चुराई आइडेंटिटी पर 550 फर्जी कंपनियां बनाई. कंपनियां रजिस्टर कराने के लिए आम लोगों के बिजली बिल का इस्तेमाल किया गया. अधिकारी ने तो यहां तक संदेह जाहिर किया कि इस व्यापक फ्रॉड में इंदौर के 80 फीसदी लोगों की जानकारियों का दुरुपयोग किया गया है. इस मामले में जब जांच हुई तो पता चला कि जिन लोगों के बिजली बिल का इस्तेमाल किया गया, उन्होंने जीएसटी पोर्टल (GST Portal) पर कोई फर्म रजिस्टर ही नहीं की. आरोपियों ने बिजली बिल के यूनिक नंबर का इस्तेमाल कर फर्जी कंपनियां बनाईं. इनपुट टैक्स क्रेडिट ट्रांजेक्शन (ITC) के डिजिटल फुटप्रिंट के सहारे पुलिस को आरोपियों तक पहुंचने में मदद मिली.
इंदौर साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह ने बताया कि गिरफ्तार हुए आरोपियों के पास से इंदौर के बहुत सारे लोगों की निजी जानकारियां मिली हैं. इन्हें स्कैन किया जा रहा है और जांच में पता लगाया जा रहा है कि कितने लोगों की जानकारियों का दुरुपयोग हुआ है. अभी तक पता चला है कि पांच लोगों के बिजली बिल का इस्तेमाल हुआ है. इनके अलावा एक ऐसे इंसान के आधार का इस्तेमाल किया गया, जिसकी मौत पांच साल पहले ही हो चुकी है. अधिकारी ने बताया कि आरोपियों के पास से कई जाने-माने बिजनेसमैन के भी आईडी कार्ड व अन्य डेटा बरामद हुए हैं.


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