सेनारी नरसंहार मामला: SC ने की बिहार सरकार की याचिका मंजूर, पटना हाईकोर्ट ने सभी 13 आरोपियों को किया था बरी

साल 1999 के चर्चित सेनारी नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 13 आरोपियों को बरी किए।

Update: 2021-07-12 11:17 GMT

साल 1999 के चर्चित सेनारी नरसंहार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 13 आरोपियों को बरी किए जाने के खिलाफ बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है. बिहार सरकार ने पटना हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी, जिसके तहत मामले में सभी 13 आरोपियों को बरी कर दिया गया था. दो दशक पुराने इस नरसंहार में कथित रूप से माओवादियों ने 34 लोगों की हत्या कर दी थी.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अब्दुल नजरी और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने हाई कोर्ट द्वारा मामले में बरी किए गए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है. बिहार सरकार ने वकील अभिनव मुखर्जी के जरिए पटना हाई कोर्ट के 21 मई के फैसले को चुनौती दी और कहा कि गवाहों के बयानों को नहीं माना गया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, बिहार सरकार ने अपनी अपील में कहा है, "अभियोजन पक्ष को कुल 23 गवाहों का समर्थन है, जिसमें 13 ऐसे लोग हैं जिन्होंने इस नरसंहार में अपने परिवार के सदस्यों को खोया है. साथ ही 3 घायल हुए गवाह भी हैं. यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि किसी भी आरोपी ने घटना की तारीख, समय, जगह और तरीके को लेकर आपत्ति नहीं जताई, इसके बावजूद कानून और सबूतों की गलत व्याख्या के कारण वे बरी कर दिए गए."
ट्रायल कोर्ट ने 10 लोगों को सुनाई थी फांसी की सजा
नंवबर 2016 में ट्रायल कोर्ट ने इन 13 में से 10 लोगों को दोषी ठहराते हुए फांसी की और तीन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इनमें दुक्खन राम कहार, बचेश कुमार सिंह, बुधन यादव, गोपाल साव, बुतई यादव, सतेंद्र दास, लल्लन पासी, द्वारिक पासवान, करीमन पासवान, गोरई पासवान, उमा पासवान को मौत की सजा और मुंगेश्वर यादव, विनय पासवान और अरविंद पासवान को आजीवन कारावास की सजा हुई थी.
19 मार्च, 1999 को तत्कालीन जहानाबाद (अब अरवल) जिले के सेनारी में हुए इस जनसंहार में माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) ने कथित रूप से ऊंची जाति के 34 लोगों की एक साथ हत्या कर दी थी. इस नरसंहार के बाद दर्ज FIR में मारे गए लोगों के परिवार वालों ने इन आरोपियों का नाम लिया था और मामले की सुनाई जहानाबाद के एडिशनल सेशन जज की अदालत में हुई थी.
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