देशद्रोह कानून: सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई, केंद्र सरकार को दिया 24 घंटे का समय
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को राजद्रोह मामले पर सुनवाई हुई. केंद्र सरकार ने मामले पर सुनवाई टालने की अपील की जबकि याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया है. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार करने के लिए केंद्र सरकार को हिदायत देते हुए एक दिन का और वक्त दे दिया है. कोर्ट ने लंबित केसों और भविष्य के मामलों को सरकार कैसे संभालेगी, इस पर रुख साफ करने के लिए केंद्र को कल यानी बुधवार सुबह तक का वक्त दिया है.
इससे पहले केंद्र सरकार ने कोर्ट के सामने देशद्रोह मामले में अपना रुख बदलने पर दी सफाई. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बोले कि राष्ट्रहित और देश की एकता अखंडता को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय कार्यपालिका ने यह नया निर्णय लिया है. हालांकि इससे दंड का प्रावधान नहीं हटाया जाएगा. कोई नहीं कह सकता कि देश के खिलाफ काम करने वाले को दंडित ना किया जाए. सरकार इसमें और सुधार का प्रावधान कर रही है लिहाजा कोर्ट अभी सुनवाई टाल दे.
याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार इसकी आड़ ले रही है, जबकि हमने तो आईपीसी के प्रावधान 124A को ही चुनौती दी है. नया संशोधित कानून जो आएगा सो आएगा, हमने तो मौजूदा प्रावधान को चुनौती दी है.
केंद्र सरकार से सीजेआई ने कहा कि हमारे नोटिस को भी करीब नौ महीने हो गए हैं. अब भी आपको वक्त चाहिए. आखिर कितना वक्त लेंगे आप. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने कानूनी आधार पर अपनी बात हलफनामे के जरिए कोर्ट के सामने रख दी है, लेकिन कानून में संशोधन के लिए कितना वक्त लगेगा इस बारे में अभी कोई वादा या भरोसा नहीं दिया जा सकता. इस पर सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि आज अटॉर्नी जनरल कोर्ट में क्यों नहीं हैं? सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उनकी तबीयत खराब है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट कानून की वैधता के मसले को आगे विचार के लिए बड़ी बेंच को भेजता है तो कोर्ट इस बीच कानून के अमल पर रोक लगा दे. 1962 में केदारनाथ सिंह बनाम बिहार सरकार मामले में 5 जजों की संविधानपीठ ने कानून की वैधता को बरकरार रखा था. वहीं कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट केदारनाथ सिंह फैसले पर पुर्नविचार की जरूरत समझते हुए इसे 5 या उससे ज्यादा जजों की बेंच को भेजता है तो कोर्ट को इस कानून के अमल पर रोक लगा देना चाहिए. अभी तीन जजों की बेंच राजद्रोह कानून की वैधता पर सुनवाई कर रही है.