नई दिल्ली: शिवसेना (Shiv Sena) के वरिष्ठ नेता संजय राउत (Sanjay Raut) सोमवार को कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि कांग्रेस (Congress) के बिना राजनीतिक मोर्चा बनेगा. जिस समय ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने राजनीतिक मोर्चे का सुझाव दिया था, उस समय शिवसेना पहली राजनीतिक पार्टी थी, जिसने कांग्रेस को साथ ले जाने की बात कही थी. केसीआर में सबको साथ लेकर नेतृत्व करने की क्षमता है. तेलंगाना के मुख्यमंत्री और टीआरएस पार्टी के चीफ के चंद्रशेखर राव (Chandrashekhar Rao) रविवार को मुंबई आए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. इसी के साथ एनसीपी चीफ शरद पवार से भी मिले. लेकिन किसी कांग्रेस के किसी नेता से नहीं मिले. भले कांग्रेस के किसी नेता से मुलाकात ना की हो, पर बीजेपी के खिलाफ जो वे एक राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन बनाने के मकसद से निकले हैं, उसमें कांग्रेस पर एक बयान भी नहीं दिया.
यानी साफ है कि 2024 में बीजेपी के खिलाफ गठबंधन के उनके प्लान में कांग्रेस शामिल नहीं है. कांग्रेस के सवाल पर उन्होंने इतना ही कहा कि फिलहाल यहां हमारी मुलाकात से एक शुरुआत हुई है. इस पर किसी भी तरह की भविष्यवाणी की अभी जरूरत नहीं है. हम समान विचारों वाले देश के नेताओं से चर्चा करेंगे. स्पष्ट सवाल का केसीआर ने यह अस्पष्ट जवाब दिया. इसपर महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले प्रतिक्रिया आनी स्वाभाविक थी. उन्होंने कहा कि कितना भी जोर लगा लो. कांग्रेस के बिना बीजेपी के खिलाफ गठबंधन का प्रयास कामयाब हो ही नहीं सका.
नाना पटोले ने कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया तब भी दी थी जब ममता बनर्जी मुंबई आई थीं. ममता बनर्जी ने भी कहा था कि यूपीए का फिलहाल अस्तित्व कहां है? राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा था कि आधा वक्त विदेश में बिता कर राजनीति नहीं होती है. लेकिन नाना पटोले का कहना है कि पिछली बार जो ममता बनर्जी यहां आईं उससे गाड़ी कितनी आगे बढ़ी? नाना पटोले ने कहा कि क्षेत्रीय दल बीजेपी के विरोध में विकल्प देने के लिए कांग्रेस को बाहर नहीं कर सकते. कांग्रेस के नेतृत्व वाला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) ही भाजपा का एकमात्र विकल्प है.
रविवार को तेजी से घटे इस राजनीतिक घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नाना पटोले ने एक ट्वीट किया और पत्रकारों से बात भी की. उन्होंने कहा कि भाजपा-विरोधी मोर्चा बनाने के राव के प्रयासों का स्वागत है, लेकिन कांग्रेस के बिना, ऐसे प्रयास ना तो पूरे होंगे और न ही कामयाब होंगे. भाजपा विपक्ष पर निशाना साधने के अलावा अपने सहयोगियों को भी खत्म करने की कोशिश कर रही है. अब इन सहयोगियों ने भाजपा से दूरी बना ली है.