चित्रकूट में आरएसएस का चिंतन शिविर समाप्त, संघ मुसलमानों को जोड़ने करेगा ये काम
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चित्रकूट में चल रही पांच दिवसीय बैठक मंगलवार को समाप्त हो गई. इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं. आरएसएस उस मास्टर प्लान का खाका तैयार करने में जुटा था, जिसके आधार पर बीजेपी और केंद्र सरकार को आगे बढ़ना है. साथ ही संघ ने मुस्लिम समुदाय को लेकर भी अपना नजरिया बदला है और अब उन्हें अपनी विचारधारा के साथ जोड़ने की दिशा में अहम फैसले लिए हैं.
चित्रकूट शिविर में कोरोनाकाल में आरएसएस के बंद पड़े कार्यक्रमों के साथ संघ की शाखाओं को फिर से शुरू करने का ऐलान किया गया है. यही नहीं, अब संघ के कार्यकर्ता गांव-गांव तक पहुचेंगे. इसके अलावा मुस्लिम समुदाय के बीच भी अपनी पैठ जाने की लिए अहम फैसले लिए गए हैं. सूत्रों की मानें तो संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरएसएस में हिंदुओं के साथ मुस्लिम लोगों को जोड़ने पर जोर दिया है. इसके लिए मुस्लिम बस्तियों में शाखाएं खोलने पर चर्चा हुई.
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने चित्रकूट में बैठक शुरू होने से ठीक पहले बयान दिया था कि सभी हिंदू और मुसलमान भारतीयों का डीएनए एक है. भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए हिंदू और मुस्लिमों को एक होकर काम करना पड़ेगा. वहीं, संघ प्रमुख अब मुस्लिम को साथ जोड़ने और उनके बीच शाखाएं खोलने की दिशा-निर्देश से साफ है कि संघ मुसलमानों को अपनी विचारधारा से जोड़ने की तरफ कदम उठाने जा रहा है.
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच भी कर रहा प्रयास
हालांकि, 'मुस्लिम राष्ट्रीय मंच' नामक संगठन देश के मुसलमानों को संघ के करीब लाने का काम कर रहा है. संघ इस संगठन को आधिकारिक मान्यता नहीं देता, लेकिन इस पर नजर जरूर रखता है. संघ के तत्कालीन प्रमुख केएस सुदर्शन की मदद से आरएसएस के प्रचारक इंद्रेश कुमार ने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को स्थापित किया है. आरएसएस मुसलमानों को इस संगठन के साथ जोड़कर संघ के बारे में फैली गलत फहमियों को दूर करने का काम कर रहा है. लेकिन, अब पहली बार है कि जब संघ सीधे तौर पर मुस्लिमों को साथ जोड़ने की दिशा में कदम उठाने जा रहा है.
चित्रकूट में प्रचारकों की बैठक में आरएसएस ने मुसलमानों को अपने साथ जोड़ने की दिशा में फैसला लिया है. ऐसे में अगर मुस्लिम समाज के लोग संघ से जुड़ते हैं तो इसके दूरगामी परिणाम बीजेपी के पक्ष में दिखेंगे. मौजूदा दौर में बीजेपी को हिंदू वोटरों का तो साथ मिल रहा है, लेकिन मुस्लिम समाज का बड़ा तबका बीजेपी से दूरी बनाकर रखे हुए हैं. मुस्लिम वोटरों को नजदीक लाने के लिए बीजेपी ने कोई भी ठोस योजना नहीं तैयार की है, लेकिन इस दिशा में आरएसएस कार्ययोजना तैयार करते हुए दिख रहा है.
12.70 करोड़ परिवारों से भी जुड़ेगा
बता दें कि संघ देश के करीब 12.70 करोड़ परिवारों से भी जुड़ेगा, जिन्होंने अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण में आर्थिक योगदान दिया है. आरएसएस का मानना है कि जो परिवार या व्यक्ति राम मंदिर निर्माण के लिए एक रुपये का भी योगदान देता है, वह किसी न किसी रूप में हिंदुत्व की विचारधारा से प्रभावित होता है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि संघ इन परिवारों और लोगों के बीच अपने वैचारिक विस्तार की संभावनाओं को देख रहा है. इसके साथ ही संघ जल्द ही अभियान चलाकर इन परिवारों से संपर्क कर उन्हें किसी न किसी तरह से जोड़ने का प्रयास करेगा. चित्रकूट बैठक में इसकी रूपरेखा तैयार की गई है.
वहीं, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी जगद्गुरु रामभद्राचार्य से मुलाकात कर अहम मुद्दों पर उनके सुझाव लिए. सूत्रों के अनुसार तुलसी पीठ के संस्थापक रामभद्राचार्य ने संघ प्रमुख को गुरुमंत्र के रूप में 7 अंक दिए, इनमें धर्म परिवर्तन पर प्रतिबंध और जनसंख्या नियंत्रण पर कानून भी शामिल हैं.
आरएसएस के चित्रकूट चिंतन शिविर में संघ ने सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ाने पर भी जोर दिया है. इसके लिए संस्था आईटी सेल की स्थापना करेगी जिसमें आईआईटी पास आउट युवाओं को मौका मिलेगा. मंगलवार को अखिल भारतीय संगठन के विभिन्न संबद्ध संगठनों के सचिव ने वर्चुअल तौर पर जुड़कर बैठक में भाग लिया.
संघ ने पश्चिम बंगाल को तीन भागों में विभाजित करने का निर्णय लिया अब से दक्षिण बंगाल का मुख्यालय कोलकाता होगा, मध्य बंगाल का मुख्यालय वर्धमान होगा और उत्तर बंगाल का मुख्यालय सिलीगुड़ी होगा. चिंतन शिविर में जिम्मेदारियों में भी कई बदलाव किए गए हैं.