रोहिणी ने बताया जगदानंद सिंह के साथ हैं पार्टी और लालू परिवार, तेजप्रताप ने की है उन्हें निकालने की मांग
लालू परिवार में शुरू हुआ तकरार थमने का नाम नहीं ले रहा है
लालू परिवार में शुरू हुआ तकरार थमने का नाम नहीं ले रहा है. तेजप्रताप (Tej Pratap Yadav) और तेजस्वी (Tejashwi Yadav) के आमने सामने आने के बाद परिवार अब दो धड़ों में बंटता नजर आ रहा है. एकतरफ तेजप्रताप है तो दूसरी तरफ तेजस्वी. परिवार में रार और तकरार के बीच अब लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी की भी एंट्री हो गई है. रोहिणी आचार्य ने लालू प्रसाद और जगदानंद सिंह की एक तस्वीर शेयर की है और लिखा सुख दुख के दोनों साथी.
दरअसल तेजप्रताप लगातार जगदानंद सिंह को पार्टी से निकालने की मांग कर रहे हैं. रविवार को जब लालू प्रसाद पटना पहुंचे तो तेजप्रताप ने हाई वोल्टेज ड्रामा कर दिया था. तब तेजप्रपताप ने आरोप लगाया था कि जगदानंद और संजय यादव ने उन्हें उनके पिता से नहीं मिलने दिया और उनका अपमान किया, तेजप्रताप ने खुलेआम कह दिया कि जबतक जगदानंद सिंह पार्टी में हैं तबतक उनका राजद से कोई लेना देना नहीं है. जिसके बाद राजनीतिक हलकों में सवाल तैरने लगा था कि लालू प्रसाद किसका साथ देगा. अब इसका जवाब बहुत हद तक मिलता दिख रहा है रोहिणी आचार्य की तस्वीर ट्वीट की च्सवीर में जिसमें लालू प्रसाद और जगदानंद सिंह है. और कैप्शन है दुख सुख के साथी है.
रोहिणी ने ट्वीट की तस्वीर
लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी ने तस्वीर के जरिए यह साफ कर दिया है कि राजद में लालू-जगदानंद की जोड़ी को नहीं तोड़ा जा सकता है. साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि वह जगदानंद सिंह के साथ हैं. ऐसे में तेज प्रताप यादव और लालू परिवार के बीच जो खाई बनी है वह और चौड़ी होती जा रही है. तेजप्रताप का मां का घर छूटने के बाद अब धीरे-धीरे इनके परिवार का साथ भी छूटता जा रहा है.
पार्टी के लिए बेटे को चुनाव हराया
बता दें कि लालू प्रसाद और जगदानंद की जोडी राजनीति में आदर्श जोड़ी के तौर पर जानी जाती है. जगदानंद सिंह का लालू प्रसाद बहुत सम्मान करते हैं. साथ ही, जगदानंद भी पार्टी के पर्ति समर्पित हैं. इतने समर्पित की बेटे की राजनैतिक करियर और पार्टी में से एक को चुनना था तो पार्टी की तरफ गए. और उपचुनाव में अपने ही बेटे को हरवाने का काम किया. दरअसल 2009 में जब जगदानंद सिंह बक्सर के सांसद बन गए तब कैमूर की रामगढ़ सीट खाली हो गई. जगदानंद सिंह यहां से 6 बार विधायक रहे चुंके थे. उनके सांसद बनने के बाद यहां उनका बेटा चुनाव लड़ना चाहता था. लेकिन जगदानंद सिंह का मानना था कि इससे कार्यकर्ताओं में गलत संदेश जाएगा. तब उन्होंने बेटे की जगह राजद कार्यकर्ता को टिकट दिलवाया था. जिसके बाद उनके बेटे को बीजेपी ने टिकट देकर मैदान में उतार दिया. यहां जगदाबाबू ने पार्टी को प्राथमिकता दी और उनके खिलाफ दिन रात प्रचार कर के राजद के उम्मीदवार को जिताने में कामयाब हुए.