चार करोड़ की डकैती, पुलिस ने सुलझा लिया केस, इस तरह आरोपियों को किया गिरफ्तार
कुल 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
नई दिल्ली: दिल्ली के गुलाबी बाग इलाके में स्थित ट्रांसपोर्ट कंपनी में हुई चार करोड़ की डकैती की गुत्थी पुलिस ने गुरुवार को सुलझा ली। इसमें कंपनी मालिक के वर्तमान और पूर्व चालक समेत कुल 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इन्होंने ही डकैती की साजिश रची थी। 11 जुलाई की रात 10.45 बजे जब कंपनी के दफ्तर में कुछ ही कर्मचारी काम पर थे, तभी बंदूकों और चाकुओं से लैस 7-8 लोग घुस आए। कुछ लोगों ने कर्मचारियों को घेर लिया, जबकि अन्य ने दफ्तर की तिजोरी की चाबी छीन ली और लॉकर में रखी नकदी लूट ली थी।
बदमाशों की पहचान करीब 200 सीसीटीवी कैमरों की जांच करने के बाद दो संदिग्ध कार के आधार पर हुई। कार मालिक की जांच करते हुए पुलिस आरोपी बदमाशों तक पहुंची। आरोपियों की निशानदेही पर एक करोड़ पंद्रह लाख रुपये और वारदात में इस्तेमाल एक आई-10 कार बरामद हुई है। बाकी की रकम वारदात में शामिल कुठ अन्य बदमाश लेकर फरार हैं। फरार बदमाशों की तलाश में दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड व मध्य प्रदेश में दर्जनों जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की जा रही है।
डकैती की वारदात के बाद शुरुआत में कंपनी के मालिक ने महज 30 लाख रुपये ही लूटे जाने की शिकायत दी थी। जब मामला दर्ज कर जांच आरंभ की गई तो पता चला कि लूट की रकम 30 लाख नहीं, बल्कि चार करोड़ रुपये थी। इलाके के डीसीपी मनोज कुमार मीना ने बताया कि गत 11 जुलाई को डकैती की शिकायत मिली थी। पीड़ित देव करन अंचल्य ने यह बताया कि रात करीब पौने ग्यारह बजे नकाबपोश हथियारबंद सात-आठ बदमाशों ने उनके दफ्तर में धावा बोला और अलमारी की चाबी लेकर उसमें रखे 30 लाख रुपये लूटकर फरार हो गए। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच में कई टीमों को लगाया गया।
करीब 200 सीसीटीवी कैमरों की जांच के बाद टीम ने एक होंडा सिविक और आई-10 कार की पहचान की। इसके बाद इन दोनों कार के नंबर के आधार पर टीम ने सराय काले खां निवासी प्रमोद की पहचान की। तकनीकी जांच करने पर यह पता चला कि वारदात वाले दिन प्रमोद की लोकेशन किशनगंज की थी। फिर आरोपी प्रमोद को मध्य प्रदेश के खजुराहो से दबोचा गया। पूछताछ में उसने यह खुलासा किया कि उसने अंकुश, तंजीम, देव उर्फ हिमांशु, रंजन, फैजल, शानू अली उर्फ मंगल पांडेय व कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया था।
जांच में पता चला कि कंपनी का चालक कैलाश चौहान और पूर्व चालक उपेंद्र कुमार अपने मालिक से नाराज थे। ये मालिक को सबक सिखाना चाहते थे। इसलिए इन्होंने प्रमोद और तंजीम को कंपनी में कैश होने की जानकारी देकर इसपर हाथ साफ करने की साजिश रची। वारदात को अंजाम देने में इस्तेमाल की गई दोनों गाड़ियों का इंतजाम प्रमोद ने किया। हथियार बाकी लड़के लेकर आए थे।