6 पुलिसकर्मियों पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित, मनीष गुप्ता मर्डर मामले में चल रहे है फरार

Update: 2021-10-08 13:41 GMT

कानपुर के मनीष गुप्ता मर्डर केस में निलंबित और फरार चल रहे गोरखपुर के रामगढ़ ताल थाने के सभी छह पुलिसकर्मियों पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया है। एसआईटी मेंबर तथा डीसीपी साउथ रवीना त्यागी ने बताया कि इंस्पेक्टर जगत नारायण सिंह निवासी थाना मुसाफिरखाना जनपद अमेठी, एसआई अक्षय कुमार मिश्रा निवासी थाना नरही जनपद बलिया, उपनिरीक्षक विजय यादव निवासी थाना बक्सा जनपद जौनपुर, उपनिरीक्षक राहुल दुबे निवासी थाना कोतवाली देहात जनपद मिर्जापुर, मुख्य आरक्षी कमलेश सिंह यादव निवासी थाना परिसर जनपद गाजीपुर, आरक्षी नागरिक पुलिस प्रशांत कुमार निवासी थाना सैदपुर जनपद गाजीपुर फरार है और इनकी गिरफ्तारी पर इनाम घोषित किया गया है।

इससे पहले कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की हत्या में आरोपित बनाए गए छह पुलिसवालों के अलावा होटल, थाना, मानसी हास्पिटल, मेडिकल कालेज में रहे पुलिसवालों के भी बयान दर्ज किए जा रहे हैं। एसआईटी ने इसके लिए नोटिस जारी किया है। नोटिस तामलील होने के बाद ये पुलिसवाले एक-एक कर एसआईटी के समक्ष अपना बयान दर्ज करा रहे हैं। उधर, इनाम घोषित होने से पहले इंस्पेक्टर सहित फरार छह पुलिस कर्मियों की तलाश तेज हो गई है। गोरखपुर क्राइम ब्रांच की टीम व कानपुर की टीम आरोपितों की तलाश में दबिश डाल रही है। आरोपित कोर्ट में सरेंडर न करने पाएं, इसके लिए कोर्ट परिसर में भी निगरानी बढ़ा दी गई है।

मनीष गुप्ता की पत्नी मीनाक्षी गुप्ता ने इंस्पेक्टर जेएन सिंह, फलमंडी चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा और विजय यादव के खिलाफ नामजद तथा तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। ये छह पुलिसवाले फरार चल रहे हैं। तीन अज्ञात पुलिसवालों के नाम भी विवेचना में बढ़ा दिए गए हैं। राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव और कांस्टेबल प्रशांत कुमार ये वही तीन लोग हैं, जिनके नाम निलम्बन कार्रवाई में भी शामिल थे। इसके अलावा एसआईटी ने कांस्टेबल प्रवीण पाण्डेय, अंकित कुमार सिंह, कांस्टेबल सचिन कुमार यादव, मुंशी हरीश कुमार गुप्ता, वरिष्ठ उप निरीक्षक अरुण कुमार चौबे, एसआई अजय कुमार और पंचनामा करने वाले मेडिकल कॉलेज चौकी के दरोगा के साथ ही उन सभी पुलिसवालों को नोटिस जारी किया है, जो कहीं न कहीं से घटनास्थल से लेकर मेडिकल कालेज तक मौजूद रहे।

इंस्पेक्टर जेएन सिंह के साथ घटना के बाद यानी 28 सितम्बर की सुबह से कांस्टेबल प्रवीण पाण्डेय, अंकित कुमार सिंह और सचिन कुमार यादव हमराही के रूप में रहे। एसआईटी ने इनसे यह जानने की कोशिश की कि उन्होंने क्या देखा और इंस्पेक्टर की बातचीत में क्या सुना? वहीं जीडी में देर से तस्करा डालने के साथ ही अन्य गतिविधियों के बारे में थाना मुंशी हरीश गुप्ता से जानकारी ली तो दरोगा अजय कुमार से पूछा कि वह मनीष गुप्ता को कहां से मेडिकल कॉलेज ले गए थे। जेएन सिंह ने मेडिकल कॉलेज ले जाने और मनीष को अपनी निगरानी में रखने के बारे में जीडी में दरोगा विजय यादव और राहुल दुबे का नाम दर्ज किया है। वहीं बीआरडी के ट्रॉमा सेंटर की पर्ची में मनीष को हॉस्पिटल ले जाने में दरोगा अजय कुमार का नाम है। एसआईटी उनसे यह जानने की कोशिश कर रही है आखिर जेएन सिंह ने ऐसा क्यों किया है। पंचनामा करने वाले दरोगा का भी एसआईटी बयान दर्ज कर रही है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इनमें ज्यादातर से बातचीत पहले भी हो चुकी है लेकिन नोटिस जारी कर अब अधिकारीतौर पर बयान दर्ज किया जा रहा है। आरोपियों की तरफ से अभी तक किसी कोर्ट में सरेंडर की अर्जी तो पड़ने की जानकारी नहीं सामने आई है लेकिन वरिष्ठ अधिवक्ताओं से उनके लोगों ने सम्पर्क साधना शुरू कर दिया है। इसे देखते हुए भी कोर्ट परिसर में निगरानी बढ़ा दी गई है।

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