प्रदेशभर में तीन-तीन पंचायतों का राजस्व काम चल रहा एक कर्मचारी के सहारे
Dharmashaala. धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश लगातार विकास की ओर बढ़ रहा है, लेकिन एक विभाग ऐसा है, जो आज भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। हिमाचल प्रदेश में आबादी बढऩे के साथ-साथ सभी जरूरी विभागों के कर्मचारियों एवं कार्यालयों में बढ़ोतरी की गई। स्कूल, अस्पताल, सडक़ें, बिजली पानी से लेकर तमाम सारे दफ्तर हर वर्ष लगातार खुल रहे हैं। लेकिन पटवारखानों को आबादी और जरूरतों के हिसाब से नहीं बढ़ाया और इसी का नतीजा है कि आज प्रत्येक पटवारखाने के अधीन दो या तीन पंचायतों का राजस्व संबंधी सभी तरह का काम रहता है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश सरकार ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चला रखी है, जिसके लिए अलग-अलग तरह के प्रणामपत्रों की आवश्यक्ता जनता को होती है। जानकारी के अनुसार पटवारियों के पास मौजूदा समय में 50 के करीब सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए आते हैं।
इसलिए काम का प्रेशर भी बढ़ा है। ऐसे में प्रदेश सरकार को पटवारखानों की संख्या में बढ़ोतरी करनी चाहिए। हिमाचली बोनाफाइड, जाति और अन्य दूसरें सभी प्रकार के प्रमाणपत्रों की वेरिफिकेशन पटवारी द्वारा ही की जाती है। एक पटवारखाने के अधीन करीब साढ़े चार हजार खसरा नंबर होने चाहिए, लेकिन मौजूदा समय की बात करें तो अभी कई पटवारखाने ऐसे भी है जहां पर खसरा नंबरों की संख्या दोगुनी-तिगुनी हो चुकी है। प्रदेश में करीब दो सौ से ज्यादा पटवारियों की पोस्टें खाली चल रही हैं, और इसका काम भी साथ लगते पटवारी को सौंपा गया है। इसके अलावा 50 के करीब कार्य हैं, जो एक पटवारी को करने पड़ते हंै। इसके अलावा किसान सम्मान निधि समेत कई अन्य योजनाओं के लिए भी पटवारी द्वारा वेरिफिकेशन की जाती है। पटवारी एवं कानूनगो महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सतीश चौधरी का कहना है कि आबादी के हिसाब से पंचायतों का तो विस्तार कर दिया गया, लेकिन पटवारखानों की संख्या में आशानुरूप बढ़ोतरी नहीं हो पाई है। प्रदेश सरकार को पटवारखानों की संख्या में भी इजाफा करें।