खुलासा: घूस के रूप में आइफोन 12 प्रो, सीबीआई अफसर का पूरा कारनामा जानिए

Update: 2021-09-04 02:55 GMT

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वसूली के आरोपों में फंसे महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. हाल ही में सीबीआई की प्राथमिक जांच की एक रिपोर्ट सोशल मीडिया में वायरल हो गई थी. यह वह प्राथमिक जांच थी, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने शुरू की थी. सीबीआई की मानें तो उनके प्राथमिक जांच की रिपोर्ट उनके ही विभाग में काम करने वाले सब इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी ने लीक किए थे और इस दस्तावेज को लीक करने के लिए उन्होंने अनिल देशमुख की लीगल टीम से जुड़े वकील आनंद डागा से आइफोन 12 प्रो बतौर घूस लिया था. सीबीआई ने ये भी कहा कि तिवारी ने समय समय पर कुछ ना कुछ मूल्यवान गिफ्ट लिए थे.

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की वसूली का आरोप लगाया था, जिसके बाद यह मामला हाई कोर्ट में गया और फिर कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने प्राथमिक जांच शुरू की थी. जाँच में उन्हें कुछ ऐसे तथ्य मिले थे, जिसके आधार पर अनिल देशमुख के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था.
कुछ दिनों पहले सीबीआई की प्राथमिक जांच की रिपोर्ट सोशल मीडिया में वायरल हो गई जिसमें लिखा था कि सीबीआई को जांच के दौरान ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे यह साबित हो कि अनिल देशमुख ने सचिन वाझे को मुंबई के ऑर्केस्टा बार और रेस्टोरेंट से वसूली करने को कहा था. इसके अलावा रिपोर्ट में लिखा था कि सचिन वाझे की पुलिस विभाग में वापसी में भी अनिल देशमुख का कोई हाथ नहीं था. कुल मिलाकर इस प्राथमिक रिपोर्ट की कॉपी में देशमुख को क्लीन चिट दी गई थी. इसके बाद लोगों ने सवाल पूछना शुरू कर दिया कि अगर रिपोर्ट में कुछ नहीं मिला था फिर एफआईआर क्यों दर्ज की गई.
इस रिपोर्ट की कॉपी लीक होने के बाद सीबीआई ने इंटर्नल जांच शुरू की और पाया कि सीबीआई के सब इंस्पेक्टर अभिषेक तिवारी जो कि देशमुख के आरोपों की जांच के लिए पुणे गए थे, वहां उनकी मुलाक़ात वकील आनंद डागा से हुई और तभी डागा ने अभिषेक को आइफोन 12 प्रो घूस के तौर पर दिया था. इसके बदले अभिषेक ने देशमुख की जांच से जुड़ी जानकारी साझा की थी. सीबीआई को यह भी पता चला कि अभिषेक ने कई मौकों पर इस तरह से गिफ़्ट लिए थे.
सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक़ 6 अप्रैल को जांच अधिकारी आरएस गुंजियाल (डीएसपी) और अभिषेक अनिल देशमुख मामले की जांच के लिए मुंबई गए थे. जांच के दौरान इन लोगों ने अनिल देशमुख के साथ-साथ कई और लोगों के बयान लिए. देशमुख का बयान 14 अप्रैल को लिया गया और फिर जांच रिपोर्ट जमा की गई.
अभिषेक ने जांच अधिकारी को प्राथमिक जांच की रिपोर्ट तैयार करने में सहयोग किया. उस दौरान उनके पास वसूली मामले से जुड़े कई सेंसिटिव दस्तावेज थे.
वरिष्ठ अधिकारियों और लीगल अफसर की राय और टिप्पणी और सम्बंधित अथॉरिटी के अप्रूवल के बाद अनिल देशमुख और अज्ञात लोगों के ख़िलाफ मामला दर्ज किया गया था. जिस मामले की जांच सीबीआई कर रही थी.
सीबीआई को जांच में यह पता चला है कि जांच और जांच से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों से जुड़ी जानकारी अनधिकृत व्यक्तियों से साझा की गई. सीबीआई को यह भी पता चला है कि देशमुख वसूली मामले की पूछताछ के दौरान अभिषेक तिवारी नागपुर के एक वकील आनंद दिलीप डागा के संपर्क में आए थे और उसके बाद से उसके साथ नियमित संपर्क में थे.
एफआईआर में यह भी लिखा है कि अभिषेक तिवारी ने कई मौकों पर आनंद डागा के साथ मामले की जांच से संबंधित विभिन्न दस्तावेजों जैसे मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीडिंग, सीलिंग-अनसीलिंग मेमोरेंडम, लोगों के स्टेटमेंट, सीज़र मेमो आदि की कॉपियां व्हाट्सएप के माध्यम से साझा की.
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