मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में दावा, आगरा के किले में दबा दिए थे मंदिर के अवशेष

उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura) जिले में चल रहे श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में नया मोड़ आ गया है

Update: 2021-04-01 17:52 GMT

उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura) जिले में चल रहे श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में नया मोड़ आ गया है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति का कहना है कि ठाकुर केशवदेव के भव्य मंदिर का 'श्रीविग्रह' (प्रतिमा) आगरा के लालकिले (Agra Fort) में दीवाने-ए-खास की छोटी मस्जिद की सीढ़ियों में दबा हुआ है.

औरंगजेब ने तुड़वा दिया था केशवदेव मंदिर
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति (Sri Krishna Janmabhoomi Mukti Andolan Samiti) के अध्यक्ष और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने गुरुवार को इस मामले में अदालत में पैरवी की. महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत में ऐतिहासिक तथ्य रखते हुए कहा, 'ओरछा नरेश ने मुगल सम्राट जहांगीर के शासनकाल में 1618 में भगवान केशवदेव का मथुरा में अत्यंत विशाल मंदिर बनवाया था. वर्ष 1669 में तत्कालीन मुगल शासक औरंगजे़ब (Aurangzeb) ने उसे तुड़वाकर उसके अवशेषों से वहां शाही ईदगाह का निर्माण करा दिया था. बीसवीं सदी में महामना मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से कटरा केशवदेव टीले पर भगवान केशवदेव मंदिर (Keshavdev Temple) और भागवत भवन का पुन:निर्माण किया गया लेकिन प्राचीन मंदिर की प्रतिमाएं अब भी आगरा में दबी हैं.'
आगरा के किले में दबा दिए थे मंदिर के अवशेष
उन्होंने कहा कि औरंगजे़ब ने मंदिर में मौजूद भगवान केशवदेव (Keshavdev Temple) के 'श्रीविग्रहों' को आगरा के लालकिले के दीवाने-ए-खास में बनी छोटी मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. महेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत से कहा, 'इससे आज भी करोड़ों अनुयायियों की भावनाएं आहत हो रही हैं. लिहाजा अदालत पुरातत्व विभाग से या फिर अन्य वैज्ञानिक विधि अपनाकर 'श्रीविग्रहों' को बाहर निकलवाए. साथ ही कटरा केशवदेव में इन्हें संरक्षित करने संबंधी आदेश करे.'
श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति ने किया है केस
जिला दीवानी न्यायाधीश (प्रवर वर्ग) नेहा बधौतिया ने इस मामले में उनकी दलील सुनने के बाद अगली सुनवाई के लिए 19 अप्रैल की तारीख कर दी. बताते चलें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन समिति (Sri Krishna Janmabhoomi Mukti Andolan Samiti) इस संबंध में मुकदमा दायर करने के बाद से ही लगातार एक के बाद एक प्रार्थना पत्र दे रही है. वादी महेंद्र प्रताप सिंह की ओर से इस मामले में एडवोकेट राजेंद्र माहेश्वरी पैरवी कर रहे हैं. राजेंद्र माहेश्वरी ने बताया कि अदालत इस मामले में 19 अप्रैल को अन्य पक्षों को भी सुनने के बाद फैसला देगी.


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