Shimla. शिमला। हिमाचल प्रदेश के लिए लाखों उपभोक्ताओं का बिजली टैरिफ 10 फरवरी को तय होगा। इस दिन विद्युत नियामक आयोग ने जनसुनवाई का दिन तय किया है। इस दिन हर वर्ग के उपभोक्ता यहां विद्युत नियामक आयोग के समक्ष अपनी राय दे सकते हैं। यहां उद्योग संस्थाओं के प्रतिनिधि भी आएंगे और कॉमर्शियल के साथ घरेलू उपभोक्ता भी पहुंचेंगे। यहां तय किया जाएगा कि बिजली बोर्ड ने जो संशोधित टैरिफ अगले साल के लिए दिया है, उससे किसी वर्ग को कोई दिक्कत तो नहीं है। शिमला में जनसुनवाई के बाद आयोग उद्योग क्षेत्रों या फिर किसी अन्य स्थान पर जाकर भी जनसुनवाई कर सकता है। अब आयोग पर निर्भर करेगा कि वह बिजली बोर्ड को उसके मुताबिक टैरिफ तय करता है या फिर नहीं। वैसे बोर्ड ने सरकार के निर्देशों पर अगले साल के लिए टैरिफ को नहीं बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। जो संशोधित टैरिफ दिया गया है, उसके अनुसार प्रदेश में बिजली की दरें नहीं बढ़़ेगी। हालांकि कॉमर्शियल या उद्योग जगत पर टैरिफ के आंकड़े बदल सकते हैं, परंतु घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली महंगी नहीं होगी। लाखों घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली की दरों में बढ़ोतरी न हो इसके लिए सरकार के निर्देशों पर बिजली बोर्ड ने विद्युत नियामक आयोग के समक्ष संशोधित टैरिफ पिटीशन दायर की है। नियामक आयोग द्वारा रखी जनसुनवाई में आने वाली लोगों की राय के बाद बिजली बोर्ड से पूछा जाएगा कि आखिर उसने पिटीशन को संशोधित किया, तो उसके पीछे कारण क्या हैं। बोर्ड द्वारा बताए जाने वाले कारणों को जानने के बाद आयोग नए सिरे से टैरिफ पर अपना निर्णय देगा।
बोर्ड ने अपने वार्षिक रेवेन्यू रिक्वायरमेंट की याचिका में 271 करोड़ 69 लाख रुपए की कमी का संशोधित मसौदा विद्युत नियामक आयोग को सौंपा है। इस कमी के बाद तय है कि हिमाचल प्रदेश में बिजली के दाम नहीं बढ़ेंगे और अगले साल या तो वर्तमान दरें ही रहेंगी या फिर इसमें और कमी हो सकती है। रिवाइज्ड पिटीशन के अनुसार अगले वित्त वर्ष के लिए बोर्ड ने आयोग से 9242.28 करोड़ रुपए की बजाय एनुअल रेवेन्यू रिक्वायरमेंट 8970.59 करोड़ की रखी है। इसमें सीधे-सीधे 271 करोड़ रूपए की कमी कर दी गई है। ऐसा कई कारणों से हुआ है, जिसमें सरकार द्वारा कोरपस फंड देने की बात कही है, जो कि सरकार बिजली बोर्ड को देगी। ये 100 करोड़ रुपए का फंड होगा और इसके अतिरिक्त भी सरकार ने कुछ लाइबिलिटी को अपने ऊपर लेने की बात कही है, जिससे लोगों को राहत मिलेगी। रिवाइज्ड टैरिफ पिटीशन के अनुसार बोर्ड ने पहले बिजली की खरीद के लिए होने वाला खर्च 5204.49 करोड़ रुपए का रखा था। उसे कम करके 5082.62 करोड़ कर दिया गया है। इसमें भी कमी की गई है। बोर्ड द्वारा ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस के लिए जो राशि खर्च की जानी थी और उसकी डिमांड याचिका में रखी गई थी, वह 1386.2 करोड़ रुपए रखे थे, जिनको संशोधित करके अब बोर्ड 1265 करोड़ रुपए मांगने जा रहा है। इसमें भी कमी कर दी गई है। इसमें कर्मचारियों की देनदारी को भी कम किया गया है। जो पहले 3022.69 करोड़ था, उसे कम करके 2902.42 करोड़ कर दिया गया है। शेष सभी मदों को समान रखा गया है और नए संशोधनों के साथ बिजली बोर्ड ने पिटीशन दायर कर रखी है।