रांची: झारखंड के व्यापारियों ने चेंबर भवन में एकजुट होकर मंडी शुल्क को लेकर विरोध किया. सम्मेलन में व्यापारियों ने सरकार से नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर 15 मई तक मंडी के शुल्क को वापस नहीं लिया गया, तो इसके बाद 16 मई को पूरे झारखंड में खाद्यान्न व्यापार को बंद कर दिया जायेगा.
इसके साथ ही चेंबर के लोगों ने क्रमबद्ध तरीके से विरोध करने का निर्णय लिया है. रविवार के दिन झारखंड राद्या कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक के विरोध में झारखंड में सम्मेलन के लिए व्यापारियों ने एकजुटता दिखाई.
इस सम्मेलन के दौरान विधेयक के विरोध में सभी खाद्यान्न व्यवसायी ने 19-20 अप्रैल को अपने हाथों में काला बिल्ला बांद कर व्यापार करने का निर्णय लिया. इसके अलावा 22- 23 अप्रैल को पोस्टर के जरिये जागरूकता अभियान चलाया जायेगा. साथ ही 27 अप्रैल को उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया जायेगा. मंड़ी शुल्क के संबंध में सीएम को ज्ञापन सौंपा जायेगा और विधायकों से मुलाकात करके विधेयक वापस कराने को लेकर पत्र जारी कराने का भी प्रयास किया जायेगा. मंड़ी शुल्क लगने से सामान की कीमतों में इजाफा होगा.
झारखंड के चेंबर अध्यक्ष का कहना है कि मंडी शुल्क काला कानून है. कोरोना के दौरान भी दो दिनों तक पंडरा समिति बंद कर दिया गया था. जिसके कारण सभी को परेशानी होने लगी थी. मंडी शुल्क को 2015 में समाप्त कर दिया गया था जिससे राइस मिल की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली थी. इससे पहले राइस मिल की संख्या 40 थी और आज यह संख्या बढ़कर 200 हो गई है.
मंडी शुल्क बढ़ने से उत्पादन महंगे होंगे, जिसके कारण व्यापारी दूसरी जगहों पर शिफ्ट होंगे. पूर्व अध्यक्ष अर्जुन जालन का कहना है कि मंडी के दाम बढ़ने से सामान के दाम भी बढ़ेंगे और भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा.