बेतिया में बुद्ध पूर्णिमा पर हुआ कार्यक्रम का आयोजन

Update: 2023-05-06 02:22 GMT

बिहार। बेतिया पश्चिमी चंपारण जिले लौरिया प्रखंड मे अशोक स्तंभ के पास भारतीय बौद्ध महा सभा द्वारा बुद्ध पूर्णिमा पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भगवान बुद्ध की 2586 वीं जयंती लौरियां में श्रद्धापूर्वक मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान बुद्ध के चित्र पर पुष्पांजलि और बुद्ध वंदना के साथ हुआ। समारोह को संबोधित करते हुए प्रबुद्ध भारती के राष्टीय सयोजक और भारतीय बौद्ध महा सभा के मुख्य संरक्षक मिसाईल इंजीनियर विजय कश्यप ने कहा

भगवान बुद्ध के उपदेशों एवं जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गाधी और डॉ. भीम राव अंबेडकर के प्ररेणाश्रोत भी भगवान बुद्ध ही थे। उनके उपदेश को वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक बताते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेने का आह्वान किया। इतिहासकार डॉक्टर मजीद का खोज का समर्थन करते हुए चंपारण वासियों को भगवान बुद्ध के जन्म भूमी , सन्यास भूमी, कर्मभूमि, परिनिरवाण भूमी के पड़ोसी होने का सुभकामना दी। तथा इस खोज के लिए डॉक्टर मजीद तथा खोजी टीम के सभी विद्वाथ जनों को सुभकामनाएं दी और उन्होने कहा चंपारण बुद्ध की जन्मभूमि है। चंपारण का अतीत चंपारण का एक सिरे से दूसरे सिरे तक पाए जाने वाले अनेकों छोटे बड़े प्राचीन अवशेष के खंडहरों मे छिपा हुआ है चंपारण के प्रति लम्बी खामुसी ने चांपरण के उज्वल अतीत को अंधकार मे डाल दीया। ब्रामण्डो ने भी इसको अपने ग्रंथो के पन्नो पर स्थान नही दिया ।बौद्ध ग्रंथों मे भी बौद्धकालीन चंपारण का अस्पष्ट वर्णन नही होने के कारण बुद्ध की जन्मभूमी चंपारण है चंपारण की पवित्र भूमी पर प्राचीन कपिलवस्तु , रोहिणी नदी, लुम्बनी वन, गौतम बुद्ध, की ननिहाल देवदह राज्य और राजधानी रामग्राम, गौतम बुद्ध की ससुराल राजा दंडवापी का राज्य और उसकी राजधानी अन्त: पुर अनोमा नदी जहां गौतम बुद्ध ने संन्यासी का वेश का धारण किया था बुद्ध की पत्नी का यशोधरा स्थान सहोदरा स्थान है।

रविन्द्र सिंह बौद्ध ने कहा भगवान बुद्ध करुणा की प्रतिमूर्ति थे और उन्‍होंने मानवजाति को संबोधि, सहिष्णुता और सदाचार का मार्ग दिखाया। चंदिका राम ने कहा बुद्ध पूर्णिमा गौतम बुद्ध की शिक्षाओं के बारे में चिंतन करने का दिन है। भगवान बुद्ध ने मानवता को विचार और कर्म में श्रेष्ठता की ओर ले जाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इस कार्यक्रम मे अपनी भुमिका निभाने वाले और वक्तागढ़ विजय कश्यप ने बौद्ध महत्सो पर प्रकाश डाला। इस दौरान जयप्रकाश जी, रविन्द्र सिंह बौद्ध, कुशवाहा, सुरेन्द्र राम, नाथुर रवि, शैलेन्द्र बौद्ध, हीरा राम, उमेश कुशवाहा, आशुतोष मल, अमिता बाला, जय प्रकाश प्रकाश, उदय भानु, नरेश राम, उमेश कुशवाहा रामेश्वर भारती, अभिलाल रविदास, अनिरुद्ध कृपाथी, शैलेश बौद्ध उपेन्द्र राम पिंटू कुमार, रविदास तरुण कुमार मौजूद थे. 



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