नई दिल्ली। इसरो ने ट्वीट किया, "लैंडिंग के बाद लैंडिंग इमेजर कैमरे द्वारा ली गई छवि। इसमें चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का एक हिस्सा दिखाया गया है। इसमें एक पैर और उसके साथ की परछाई भी दिख रही है। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर एक अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र चुना है।"
चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करके इतिहास रच दिया है। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है, अब सभी की निगाहें प्रज्ञान रोवर पर हैं। प्रज्ञान रोवर अब चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए तैयार है। प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर उतरकर कई तरह की डेटा करेक्शन करने वाला है। इसरो की मानें तो विक्रम लैंडर के साथ चांद पर गया प्रज्ञान रोवर अपना काम 14 दिनों खत्म कर लेगा। ऐसा बताया जा रहा है कि प्रज्ञान तत्काल काम करना शुरू कर देगा और वह लगातार 14 दिन तक काम करेगा।
रोवर प्रज्ञान वह अपना सारा डाटा विक्रम लैंडर को देगा और वहां से डाटा सीधा इसरो को एजेंसी में ट्रांसफर कर देगा। असल में धरती के 14 दिन के बराबर चांद का एक दिन होता है, इसी परिस्थिति के हिसाब से प्रज्ञान सिर्फ एक लूनर डे यानी 14 दिन तक एक्टिव रहेगा। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की वजह से उसे फिर से रिचार्ज किए जाने की उम्मीद कम है। हालांकि, इसरो के वैज्ञानिकों को भरोसा है कि प्रज्ञान और विक्रम एक अतिरिक्त लूनर डे तक काम कर सकते हैं, वहां उन्हें सूरज से मदद मिलेगी जिसके जरिए वे खुद को चार्ज कर सकते हैं।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बुधवार को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया इतिहास रचते हुए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' से लैस एलएम की साफ्ट लैंडिग कराने में सफलता हासिल की। भारतीय समयानुसार शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर इसने चांद की सतह को छुआ। इसी के साथ भारत किसी खगोलीय पिंड पर यान उतारने की प्रौद्योगिक हासिल करने वाले वाले चार देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया और यह अबतक चंद्रमा के अज्ञात रहे दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर उतारने वाला पहला देश बन गया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ को चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग पर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। श्री मोदी ने इसरो चीफ प्रमुख को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से फोन कर बधाई दी है। इससे पहले उन्होंने इसरो के वैज्ञानिकों समेत सभी देशवासियों को संबोधित भी किया।