बढ़ी मुश्किलें: वसीम रिजवी के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज की 2 एफआईआर, लगा ये आरोप

Update: 2020-11-20 03:32 GMT

फाइल फोटो 

सीबीआई ने यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड द्वारा अनियमित तरीके से क्रय-विक्रय और स्थानांतरित की गई वक्फ संपत्तियों की जांच शुरू कर दी है। इस मामले में सीबीआई ने लखनऊ यूनिट में दो एफआईआर दर्ज की हैं। दोनों एफआईआर में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी के अलावा जमीन का लाभ पाने वाले नरेश कृष्ण सोमानी, विजय कृष्ण सोमानी, वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक अधिकारी गुलाम सैयदेन रिजवी और निरीक्षक बाकर रजा को आरोपी बनाया गया है। सीबीआई ने प्रयागराज और लखनऊ में दर्ज एफआईआर को आधार बनाया है।

इस मामले में पहली एफआईआर अगस्त 2016 में प्रयागराज के कोतवाली थाने में दर्ज की गई थी। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के तत्कालीन चेयरमैन वसीम रिजवी ने इमामबाड़ा गुलाम हैदर त्रिपोलिया, ओल्ड जीटी रोड पर अवैध रूप से दुकानों का निर्माण शुरू कराया था। क्षेत्रीय अवर अभियंता ने 7 मई 2016 को निरीक्षण के बाद पुराने भवन को तोड़कर किए जा रहे अवैध निर्माण को बंद करा दिया था। 

बाद में फिर से निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया। इसे रोकने के लिए कई पत्र लिखे गए, फिर भी निर्माण कार्य बदस्तूर जारी रहा। इस पर अवर अभियंता सुधाकर मिश्रा ने रिजवी को नामजद करते हुए 26 अगस्त 2016 को एफआईआर दर्ज करा दी गई। रिजवी के खिलाफ आईपीसी की धारा 447 और 441 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

वहीं, दूसरी एफआईआर लखनऊ के हजरतगंज थाने में 27 मार्च 2017 को दर्ज की गई थी। इसमें रिजवी व वक्फ बोर्ड के अधिकारियों पर 27 लाख रुपये लेकर कानपुर में वक्फ की बेशकीमती संपत्ति का पंजीकरण निरस्त करने और पत्रावली से महत्वपूर्ण कागजात गायब करने का आरोप लगाया था। इस एफआईआर में वसीम रिजवी के अलावा जमीन का लाभ पाने वाले नरेश कृष्ण सोमानी, विजय सोमानी, सैयदैन रिजवी, बाकर रजा को आरोपी बनाया गया है।


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