प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'वीर बाल दिवस' के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए

देखें वीडियो।

Update: 2022-12-26 09:28 GMT

न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में अयोजित 'वीर बाल दिवस' कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि उस दौर में औरंगजेब के आतंक के खिलाफ गुरु गोविंद सिंह जी पहाड़ की तरह खड़े थे. लेकिन जोरावर सिंह और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई?
पीएम मोदी ने आगे कहा, दो निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी इसलिए की गई, क्योंकि औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे. लेकिन, भारत के वो बेटे, वो वीर बालक, मौत से भी नहीं घबराए. वो दीवार में जिंदा चुन गए, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया.
देश में पहली बार शुरू 'शहीदी सप्ताह' के बीच 'वीर बाल दिवस' को लेकर प्रधानमंत्री मोददी बोले कि साहिबजादों ने इतना बड़ा बलिदान और त्याग किया, अपना जीवन न्यौछावर कर दिया, लेकिन इतनी बड़ी 'शौर्यगाथा' को भुला दिया गया. लेकिन अब 'नया भारत' दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है. इसे मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि उसे आज 26 दिसंबर के दिन को 'वीर बाल दिवस' के तौर पर घोषित करने का मौका मिला.
'वीर बाल दिवस' हमें याद दिलाएगा कि दश गुरुओं का योगदान क्या है. देश के स्वाभिमान के लिए सिख परंपरा का बलिदान क्या है. 'वीर बाल दिवस' हमें बताएगा कि- भारत क्या है, भारत की पहचान क्या है.
इतिहास से लेकर किंवदंतियों तक, हर क्रूर चेहरे के सामने महानायकों और महानायिकाओं के भी एक से एक महान चरित्र रहे हैं. लेकिन ये भी सच है कि, चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो 'भूतो न भविष्यति' था. एक ओर धार्मिक कट्टरता में अंधी इतनी बड़ी मुगल सल्तनत, दूसरी ओर, ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीने वाली परंपरा!
एक ओर आतंक की पराकाष्ठा, तो दूसरी ओर आध्यात्म का शीर्ष , एक ओर मजहबी उन्माद, तो दूसरी ओर सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता. इस सबके बीच, एक ओर लाखों की फौज, और दूसरी ओर अकेले होकर भी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे! ये वीर साहिबजादे किसी धमकी से डरे नहीं, किसी के सामने झुके नहीं.
अगर हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखरों तक लेकर जाना है, तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आज़ाद होना होगा. इसलिए, आजादी के 'अमृतकाल' में देश ने 'गुलामी की मानसिकता से मुक्ति' का प्राण फूंका है.
PM मोदी ने आगे कहा कि हम आजादी के 'अमृत महोत्सव' में देश के स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं. स्वाधीनता सेनानियों, वीरांगनाओं, आदिवासी समाज के योगदान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हम काम कर रहे हैं.
Tags:    

Similar News

-->