राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू : आत्म समर्पण की मिसाल

Update: 2022-07-25 06:25 GMT

दिल्ली न्यूज़: देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ली, संसद भवन का केंद्रीय कक्ष तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। देश की नई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने सहज अंदाज में हिंदी में भाषण दिया। उनके संबोधन में आदिवासी समाज की झलक थी, तो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी जिक्र था।


झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक का सफर मुर्मू ने कैसे किया? 15वीं राष्ट्रपति की पूरी कहानी: 

द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बन चुकी हैं। एक समय था जब आदिवासी परिवार से आने वाली मुर्मू झोपड़ी में रहती थीं। अब उन्होंने 340 कमरों के आलीशान राष्ट्रपति भवन तक का सफर पूरा कर लिया है। मुर्मू का ये सफर इतना आसान भी नहीं है। यहां तक पहुंचने के लिए मुर्मू ने न जाने कितनी तकलीफें झेलीं हैं। इस सफर में कई अपने भी दूर हो गए। कष्ट इतना मिला कि कोई आम इंसान कब का टूट गया होता। फिर भी मुर्मू ने न केवल संघर्ष जारी रखा बल्कि देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचने में कामयाब हुईं। आज मुर्मू न केवल भारत, बल्कि दुनियाभर के अरबों लोगों के लिए एक मिसाल बन चुकी हैं।

आदिवासी परिवार में जन्म:

द्रौपदी का जन्म ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में 20 जून 1958 को हुआ था। द्रौपदी संथाल आदिवासी जातीय समूह से संबंध रखती हैं। उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडू एक किसान थे। द्रौपदी के दो भाई हैं। भगत टुडू और सरैनी टुडू। द्रौपदी की शादी श्यामाचरण मुर्मू से हुई। उनसे दो बेटे और दो बेटी हुई। साल 1984 में एक बेटी की मौत हो गई। द्रौपदी का बचपन बेहद अभावों और गरीबी में बीता था। लेकिन अपनी स्थिति को उन्होंने अपनी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी विमेंस कॉलेज से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। बेटी को पढ़ाने के लिए द्रौपदी मुर्मू शिक्षक बन गईं।


कॉलेज जाने वाली गांव की पहली लड़की: मुर्मू की स्कूली पढ़ाई गांव में हुई। साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं। इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला ले लिया। मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची।

द्रौपदी के ससुराल वालों ने दहेज में दिए थे गाय, बैल और 16 जोड़ी कपड़े: शादी के लिए द्रौपदी के पिता मान चुके थे। अब श्याम चरण और द्रौपदी के घरवाले दहेज की बातचीत को लेकर बैठे। इसमें तय हुआ कि श्याम चरण के घर से द्रौपदी को एक गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे। दोनों के परिवार इस पर सहमत हो गए। दरअसल द्रौपदी जिस संथाल समुदाय से आती हैं, उसमें लड़की के घरवालों को लड़के की तरफ से दहेज दिया जाता है।

और शुरू हुआ राजनीतिक सफर: राजनीति में आने से पहले मुर्मू ने एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरूआत की थी। उन्होंने 1979 से 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद 1994 से 1997 तक उन्होंने आॅनरेरी असिस्टेंट टीचर के रूप में कार्य किया था।

1997 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा। ओडिशा के राइरांगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। इसके बाद वह जिला परिषद की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं। वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव लड़ीं। राइरांगपुर विधानसभा से विधायक चुने जाने के बाद उन्हें बीजद और भाजपा गठबंधन वाली सरकार में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया।

2002 में मुर्मू को ओडिशा सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। 2006 में उन्हें भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2009 में वह राइरांगपुर विधानसभा से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं। इसके बाद 2009 में वह लोकसभा चुनाव भी लड़ीं, लेकिन जीत नहीं पाईं। 2015 में द्रौपदी को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। 2021 तक उन्होंने राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।

राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के साथ ही वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनेंगी। इसके अलावा देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनने का खिताब भी वह अपने नाम करेंगी। 64 साल की द्रौपदी राष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत बनेंगी।


जब एक के बाद एक दर्द झेलना पड़ा: 1984 में छोटी बेटी की मौत के बाद 2009 में द्रौपदी को जीवन का बड़ा दर्द झेलना पड़ा। उनके 25 साल के बेटे लक्ष्मण मुर्मू की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई। लक्ष्मण अपने चाचा-चाची के साथ रहते थे। बताया जाता है कि लक्ष्मण शाम को अपने दोस्तों के साथ गए थे। देर रात एक आॅटो से उनके दोस्त घर छोड़कर गए। उस वक्त लक्ष्मण की स्थिति ठीक नहीं थी।

चाचा-चाची के कहने पर दोस्तों ने लक्ष्मण को उनके कमरे में लिटा दिया। उस वक्त घरवालों को लगा कि थकान की वजह से ऐसा हुआ है, लेकिन सुबह बेड पर लक्ष्मण अचेत मिले। घरवाले डॉक्टर के पास ले गए, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। इस रहस्यमयी मौत का खुलासा अब तक नहीं हो पाया है।

बेटे की मौत के सदमे से द्रौपदी अभी उभर भी नहीं पाई थीं कि उन्हें दूसरी झकझोर देने वाली खबर मिली। ये घटना 2013 की है। जब द्रौपदी के दूसरे बेटे की मौत एक सड़क दुर्घटना में हो गई। द्रौपदी के दो जवान बेटों की मौत चार साल के अंदर हो चुकी थी। वह पूरी तरह से टूट चुकीं थीं।

इससे उबरने के लिए उन्होंने अध्यात्म का सहारा लिया। द्रौपदी राजस्थान के माउंट आबू स्थित ब्रह्कुमारी संस्थान में जाने लगीं। यहां कई-कई दिन तक वह ध्यान करतीं। तनाव को दूर करने के लिए राजयोग सीखा। संस्थान के अनेक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगीं।

दो बेटों की मौत का दर्द अभी कम भी नहीं हुआ था कि 2014 में द्रौपदी के पति श्यामाचरण मुर्मू की भी मौत हो गई। बताया जाता है कि श्यामाचरण मुर्मू को दिल का दौरा पड़ा था। उन्हें घरवाले अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। श्यामाचरण बैंक में काम करते थे। अब द्रौपदी के परिवार में केवल बेटी इतिश्री मुर्मू हैं। इतिश्री बैंक में नौकरी करती हैं।

शादी के लिए अड़ गए थे उनके होनेवाले पति, गांव में ही बैठ गए थे धरने पर:

देश को द्रौपदी मुर्मू के रूप में नया राष्ट्रपति मिल गया है। द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को हराया और देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचीं। 64 साल की द्रौपदी मुर्मू की बात करें तो वो ओडिशा के आदिवासी परिवार से आती हैं। उनकी शादी 1980 में श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। आखिर श्याम से कैसे हुई थी द्रौपदी मुर्मू की पहली मुलाकाता, जानते हैं दोनों की लवस्टोरी।

होनेवाले पति से पहली बार ऐसे मिली थीं मुर्मू:

द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के रमादेवी वुमन कॉलेज से आर्ट्स में ग्रैजुएशन किया है। इसी दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई थी। दरअसल, श्याम चरण भी भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे। पहली मुलाकात के बाद धीरे-धीरे दोनों की जान-पहचान प्यार में तब्दील हो गई।

जब द्रौपदी के घर रिश्ते की बात करने पहुंच गए श्याम: श्याम चरण मुर्मू अपने रिश्ते को आगे ले जाना चाहते थे। यही वजह थी कि वो द्रौपदी से हर हाल में शादी करना चाहते थे। साल 1980 की बात है, जब वो एक दिन शादी का प्रपोजल लेकर द्रौपदी के घर पहुंच गए। द्रौपदी के पिता बिरंची नारायण टुडू ने श्याम के साथ अपनी बेटी की शादी करने से साफ इनकार कर दिया था। लेकिन श्याम भी अड़ गए थे। वो अपने रिश्तेदारों के साथ द्रौपदी के गांव उपरबेड़ा में ही डेरा डाल कर बैठ गए।

आखिरकार शादी के लिए राजी हो गए द्रौपदी के घरवाले: श्याम चरण जब उपरबेड़ा गांव में डेरा डाल कर बैठ गए तो श्याम के दिल में अपने लिए इतना प्यार देखकर द्रौपदी का दिल भी पिघल गया। इसके बाद द्रौपदी ने फैसला कर लिया कि अब वो हर हाल में उन्हीं से शादी करेंगी। कई दिनों तक अड़े रहने के बाद आखिरकार द्रौपदी के पिता और घरवाले भी शादी के लिए मान गए। इसके बाद एक बैल, एक गाय और कुछ जोड़ी कपड़ों की बात पर दोनों की शादी तय हो गई और इस तरह 1980 में द्रौपदी पहाड़पुर गांव की बहू बनीं।

द्रौपदी मुर्मू की ये 10 बातें:

1. देश की ऐसी बेटी जिसका समाज कभी सोच भी नहीं सकता था कि उनके समाज का कोई राष्ट्रपति बनेगा, खुद को अभिशप्त मानने वाले समाज की बेटी अब भारत की राष्ट्रपति हैं।

2. जिस महिला को लगता था कि पढ़ने-लिखने के बाद आदिवासी महिलाएं उससे थोड़ा दूर हो गई हैं तो वो अब खुद सबके घर जाकर 'खाने को दे' कहकर बैठने लगीं हैं और अब वो भारत की राष्ट्रपति हैं।

3. वह गरीब लड़की, जो सिर्फ इसलिए पढ़ना चाहती थी कि परिवार के लिए रोटी कमा सके, पेट पाल सके। वो अब भारत की राष्ट्रपति हैं।

4. वह महिला, जिसने अपने पति और दो बेटों को असमय ही खो दिया। आखिरी बेटे की दुर्घटना में मौत के बाद वह डिप्रेशन में चली गई थी और तब लोग कहने लगे थे कि अब ये नहीं बच पाएंगी, वो अब भारत की राष्ट्रपति हैं।

5. जिस महिला के गांव में कहा जाता था कि राजनीति बहुत खराब चीज है और महिलाएं को तो इससे बहुत दूर रहना चाहिए, उसी गांव की महिला अब भारत की 'राष्ट्रपति' है।

6. वह महिला, जो बिना वेतन के शिक्षक के तौर पर काम कर रही थी। और, जिनके प्रयासों से उनके गांव से जुड़े अधिकतर गांवों में आज लड़कियों के स्कूल जाने का प्रतिशत लड़कों से ज्यादा हो गया है। वो महिला अब भारत की राष्ट्रपति हैं।

7. वह महिला, जिन्होंने अपना पहला काउंसिल का चुनाव जीतने के बाद जीत का इतना ईमानदार कारण बताया कि 'वो क्लास में अपना सब्जेक्ट ऐसा पढ़ाती थीं कि बच्चों को उस सब्जेक्ट में किसी दूसरे से ट्यूशन लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी और उनके 70 नम्बर तक आते थे इसीलिए क्षेत्र के सारे लोग और सभी अभिवावक उन्हें बहुत लगाव करते थे'- वो महिला अब भारत की राष्ट्रपति हैं।

8. वह महिला, जो मासूमियत से अपनी सबसे बड़ी सफलता इस बात को मानती है कि 'राजनीति में आने के बाद मुझे वो महिलाएं भी पहचानने लगी है जो पहले नहीं पहचानती थी'...वो अब भारत की राष्ट्रपति हैं।

9. वह महिला, जो 2009 में चुनाव हारने के बाद फिर से गांव में जाकर रहने लगी और जब वापस लौटी तो अपनी आंखों को दान करने की घोषणा की, और अब वही महिला भारत की राष्ट्रपति हैं।

10. वह महिला, जो ये मानती हैं कि 'छ्राी ्र२ ल्लङ्म३ ुी िङ्मा १ङ्म२ी२' जीवन कठिनाइयों के बीच ही रहेगा, हमें ही आगे बढ़ना होगा। कोई पुश करके कभी हमें आगे नहीं बढ़ा पाएगा', वो महिला अब भारत की राष्ट्रपति बनने जा रही हैं।

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