पर्यटक-धार्मिक स्थलों को स्वच्छ रखने का संदेश दे रहे प्रेम रावत

Update: 2024-03-19 11:45 GMT
भरमौर। पहाड़ी राज्यों के पर्यटक व धार्मिक स्थलों समेत प्राकृतिक सौंदर्य को दागदार करने वालों से इन्हें महफूज रखने के लिए एक युवा मिशन पर निकल पड़ा है। तीन माह और बीस दिनों में करीब अढ़ाई हजार किलोमीटर का सफर तय करने के बाद उत्तराखंड का यह युवक प्रेम सोमवार को भगवान भोले नाथ की नगरी भरमौर पहुंचा है। उतराखंड के बाद हिमाचल के पहाड़ों का सीना नापने में लगा प्रेम का आगामी सफर जम्मू-कश्मीर में होगा। लिहाजा 22 वर्षीय यह युवा हिमाचल के पर्यटक व धार्मिक स्थलों को स्वच्छ रखने का संदेश दे रहा है। वहीं स्थानीय लोगों को भी इस मिशन में शामिल करते हुए पहाड़ों की सुंदरता को दागदार करने वालों के साथ सख्ती बरतने के लिए तैयार कर रहा है। बहरहाल चंबा-भरमौर नेशनल हाई-वे से पैदल सफर करते हुए प्रेम चौरासी प्रांगण में स्वच्छता का संदेश लेकर पहुंच गया है। ‘दिव्य हिमाचल’ से बातचीत में उत्तराखंड के पौढ़ी गढवाल के रहने वाले प्रेम रावत ने बताया कि पहाड़ों के प्राकृतिक सौंदर्य और यहां के धार्मिक व पर्यटक स्थलों पर आने वाले पर्यटक कूड़ा-कचरा यहीं छोड़ जाते है। जिससे की इन स्थलों की सुंदरता पर भी ग्रहण लग रहा है।
उन्होंने कहा कि पहाड़ों की सुंदरता को कायम रखने और यहां के धार्मिक व पर्यटक स्थलों को स्वच्छ रखने के लिए आमजन को जागरूक करने का उन्होंने फैसला लिया है। इसके लिए वह गत वर्ष एक दिसंबर को उतराखंड के पौढ़ी गढवाल से अपने सफर पर साइकिल पर निकले थे। इस दौरान उन्होंने एक एक कुत्ते को अपना साथी बनाया। चारली नाम के इस कुत्ते के साथ साइकिल के जरिए वह उतराखंड के बाद हिमाचल प्रदेश के विभिन्न स्थानों से होता हुआ डलहौजी तक पहुंचा। प्रेम रावत बताते है कि गतरोज उनकी साईकिल डलहौजी में खराब हो गई। लिहाजा इस स्थिति में उन्होंने अपना अगला सफर पैदल की करने का निर्णय लिया है। प्रेम रावत बताते है कि वह पैदल सफर के दौरान वाहन चालकों से लिफ्ट भी ले रहे है और इसी तरह वह सोमवार को भरमौर पहुंच गए है। उनका कहना है कि अगर स्थानीय लोग स्वच्छता के प्रति जागरूक होंगे, तो वह देश के विभिन्न हिस्सों से पहुंचने वाले पर्यटकों को भी इसके लिए प्रेरित करने का काम करेंगे। वह अपने सफर के लिए रात्रि विश्राम किसी होटल या लॉज में नहीं करते है। उन्होंने अपने साथ टैंट ले रखा है। लिहाजा जिस स्थान पर वह रूकते है, वहीं पर अपना तंबू गाड़ देते है।
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