आलू की बिजाई और फूलगोभी की रोपाई शुरू

Update: 2024-05-19 10:19 GMT
पतलीकूहल। आजकल शीत मरूस्थल लाहुल-स्पीति में जहां आलू की बिजाई चरम पर हैं वहीं पर फुलगोभी की रोपाई का कार्य भी शुरू हो चुका है। लाहुल की कई वैलियों में यह कार्य खत्म हो चुका हैं, लेकिन सिस्सू व कोकसर क्षेत्र में लोग फुलगोभी की पनीरी की रोपाई खेतों में अब कर रहें हें। क्योंकि घाटी में पिछले दिनों मौसम का कुचक्र जिस तरह से हावी रहा उससे सभी कार्यों में विलंब हुआ है। लाहौल व कुल्लू घाटी में नेपालियों के सहारे ही सेब व शीत मरूस्थल का आलू व सब्जियों का उत्पादन कर दोनों जिलों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में मशक्त कर रहें हैं। अगर नेपाल से यह लोग यहां दस्तक न दें तो कुल्लू का सेब व लाहुल का आलू व सब्जियां अपने गंतब्य नहीं पहुंच पाती है। यहीं नहीं नेपाली मजदूरी करने आते थे मगर अब यही लोग यहां पर उत्पादक बन गयें हैं। लाहौल घाटी में यह लेाग कई बीघा जमीन किराये पर लेंतें हैं। यहां पर यह लोग पांच लाख से 50 लाख तक भूमि को किराये पर लेते हैं। लाहुल में तकरीबन 90 फीसदी जमीन पर नेपाली लोग खेती कर रहें हैं।
इसी तरह से कुल्लू घाटी में यही नेपाली सेब की तुड़ान व ढुलान कर इसे सब्जी मंडियों तक पहुंचाते हैं। वहीं पर आजकल नेपाले हजारों की संया में नेपाली लाहौल घाटी में खेतों में आलु व फुलगोभी की खेती करने में मग्र हैं। हांलाकि लाहौल घाटी में जहां पहले आलू ही होता रहा है अब लोगों ने कैश क्रॉप के लिए फुलगोभी व एग्जोटिक वैजिटेबल में ब्रोकली, आईस बर्ग व मटर की खेती कर रहें हैं। कोक सर में फुलगोभी व आलु उत्पादक इंद्र थापा, चंदन, तारा, सुमन, रामबहादुर ने बताया कि वह इस क्षेत्र में पिछले आठ सालों से सब्जी व आलु को उत्पादन कर रहें हैं। उन्होंने बताया कि अब वह फुलगोभी की ओर अग्रसर हैं क्योंकि इसका स्पॉट पर कैश मिलता है। उन्होंने कहा कि लाहुल की फुलगोभी का रेट अधिकतम 45 रुपए प्रति किलो रहता और मटर का रेट भी 100 से 120 रुपए प्रति किलो बिकता है। यदि खेती के दौरान मौसम सामान्य रहता है तो बढिय़ा उत्पादन होता है लेकिन अगर मौसम का कुचक्र हावी रहता है तो उस दौरान फसल को नुकसान पहुंचने की आंशका बनी रहती है। उन्होंने कहा कि गत वर्ष घाटी की फसल अधिकतर फसल खेतों में ही सड़ गई।
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